नवादा : जिले के बिहार-झारखंड सीमा पर जंगलों व पहाड़ों से आच्छादित रजौली अनुमंडल मुख्यालय हमेशा से सुर्खियों में रहा है। कभी नक्सलियों की गोली की तड़तड़ाहट का भय दिखाकर अधिकारियों को नीरिक्षण से जाने रोक कर योजना समेत पीडीएस के अनाजों की कालाबाजारी व राशि का बंदरबांट किया जाता था। तत्कालीन एसपी विनोद कुमार के नेतृत्व में नक्सलियों को क्षेत्र छोड़ने पर विवश तो किया लेकिन भ्रष्टाचार में कमी नहीं आयी। हां! कुछ ही सही विकास हुआ।
वर्तमान हालात यह है कि सोशल मीडिया या फिर अखबारों में भ्रष्टाचार की अकथ कहानी क्यों न छप जाय अधिकारियों की तंद्रा भंग नहीं होती। फिर भ्रष्टाचार पर अंकुश का सवाल ही कहां। रजौली बीआरसी में लूट का बाजार गर्म है। सोशल मीडिया पर प्रमाण के साथ खबरें वायरल हो रही है लेकिन सुनने वाला कोई नहीं। और तो और बीआरसी में एक ऐसा कर्मचारी है जो पिछले पन्द्रह से भी अधिक वर्षों से एक ही स्थान पर जमा है। जाहिर है ऐसे लोगों की मनमानी तो चलेगी ही सो चल भी रही है।
जी हां! फिलहाल यहां हम बात कर रहे हैं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्होंने सभी विद्यालयों को एक पत्र लिखा है। पत्र में ज्ञापांक दिनांक तो है लेकिन उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किया है। अब तो वे ही बता सकते हैं कि यह कहां तक न्यायोचित है? पत्र पर हस्ताक्षर किए बगैर जारी पत्र की कितनी प्रासंगिकता है? प्रमाण है। बगैर प्रमाण मैं किसी पर आरोप नहीं लगाता। अब समाहर्ता को निर्णय लेना है, क्या उचित है और क्या अनुचित। अगर उचित है तो कैसे?
भईया जी की रिपोर्ट