आर्थिक अपराध इकाई EOU की एक टीम ने सुपौल में छापेमारी कर मुख्यमंत्री नीतीश की पार्टी जदयू के प्रदेश युवा सचिव हर्षित कुमार को साइबर ठगी का नेटवर्क चलाने के आरोप में दबोचा है। सुपौल पुलिस के सहयोग से EOU की टीम ने बीते दिन करजाइन थाना क्षेत्र के गौसपुर गांव में हर्षित कुमार के घर पर छापा मारा। इस दौरान उसके घर से लैपटॉप, कई सिमकार्ड और संदिग्ध दस्तावेज मिले। इसके अलावा उसके खाते में 7 करोड रुपए भी मिले। हर्षित मिश्रा नाम का यह नेता युवा जदयू का प्रदेश पदाधिकारी है। छापेमारी के बाद ईओयू की टीम उसे सुपौल से पटना ले आई। संभावना है कि उससे पूछताछ के बाद साइबर ठगी के एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है।
कई सिमकार्ड, लैपटॉप व अन्य दस्तावेज जब्त
हर्षित कुमार युवा जदयू का प्रदेश सचिव है और वह एक साधारण किसान परिवार से आता है। वह बीते कुछ वर्षों से खुद को शेयर बाजार का सफल कारोबारी बताता था। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई करोड़ों की ठगी और साइबर अपराध से जुड़ा है। हालांकि, इसको लेकर अधिकारी खुल कर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। बताया जाता है कि रविवार की सुबह स्कॉर्पियो से करीब 25 से 30 की संख्या में ईओयू टीम ने छापेमारी शुरू की। करीब 19 घंटे तक चली कार्रवाई में हर्षित के घर से दर्जनों सिम लगाने वाला गैजेट, सैकड़ों सिम कार्ड, दर्जनों मोबाइल, लैपटॉप, बायोमेट्रिक डिवाइस, नोट गिनने की मशीन समेत कई सामान जब्त किए गए। वही पूछताछ में हर्षित के पास से वह मोबाइल और लैपटॉप भी मिला, जो उस बैंक खाते से जुड़ा था, जिसमें 7 करोड़ रुपये जमा थे। यह खाता पहले ही साइबर पुलिस ने फ्रीज कर दिया था। इसी आधार पर टीम ने कार्रवाई की है।
ईओयू की टीम में तीन दर्जन अफसर शामिल
इस कार्रवाई में ईओयू पटना की टीम के करीब तीन दर्जन सदस्य, सुपौल एसपी और साइबर थाना के अधिकारी शामिल थे। कार्रवाई के दौरान ईओयू और स्थानीय पुलिस ने मीडिया से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पूछताछ और कागजी प्रक्रिया के बाद हर्षित को पटना ले जाया गया। ग्रामीणों के मुताबिक, हर्षित 27 साल का है। उसके पिता किसान हैं और दादा घनश्याम मिश्र पंचायत के मुखिया रह चुके हैं। पहले परिवार के पास 50 बीघा से ज्यादा जमीन थी, जो धीरे-धीरे बिक गई। पढ़ाई के लिए हर्षित को फारबिसगंज और फिर पटना भेजा गया। तीन साल पहले हर्षित ने पिता से जमीन बिकवाकर शेयर ट्रेडिंग के नाम पर पैसे लिए। इसके बाद वह कभी-कभी गांव आता था।
भाजपा छोड़ जदयू में हुआ था शामिल
हर्षित पहले स्कॉर्पियो गाड़ी पर भाजपा का झंडा और दो बाउंसर लेकर घूमता था। लोग मानते रहे कि वह शेयर बाजार से कमाई कर रहा है। कुछ समय पहले उसने सरकार से बॉडीगार्ड की मांग भी की थी। हालांकि जांच में उसका आवेदन खारिज कर दिया गया। पहले वह भाजपा कार्यकर्ता था। लेकिन तीन महीने पहले जदयू में शामिल हुआ। कथित तौर पर बड़े नेताओं से नजदीकी के चलते उसे जदयू युवा मोर्चा का प्रदेश सचिव बना दिया गया। कार्रवाई के बाद गांव में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। गांव में सन्नाटा है। एक बुजुर्ग ने कहा कि हर्षित का चाल-चलन बीते कुछ वर्षों से बदला हुआ था।