नवादा : श्रावण का महीना शुरू होते ही जिले में बोल-बम कांवरियों का सैलाब उमड़ने लगा है। सुल्तानगंज से देवघर जल भरने वाले कांवरियों की भीड़ ट्रेनों पर इस कदर हावी हो जाती है कि आम यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही नजारा तिलैया, नवादा व वारिसलीगंज रेलवे स्टेशन पर देखा गया, जब हावड़ा-गया एक्सप्रेस ट्रेन कांवरियों से पूरी तरह भर चुकी थी। हालात ऐसे बन गये कि टिकट लेकर सफर कर रहे यात्री भी ट्रेन में चढ़ नहीं पा रहे थे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ प्रभारी महेंद्र कुमार के नेतृत्व में विशेष अभियान चलाया गया। आरपीएफ टीम ने न सिर्फ ट्रेनों में कांवरियों को व्यवस्थित ढंग से बैठाया, बल्कि माइक के माध्यम से यात्रियों को बोगियों की स्थिति और कोच के बारे में अनाउंस कर मार्गदर्शन दिया।
यह प्रयास यात्रियों को थोड़ी राहत देने के लिए किया गया, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे थे। यात्री बब्लू कुमार ने बताया कि उन्होंने अपनी पुत्री को पढ़ाई के लिए कोलकाता भेजने की योजना बनायी थी, इसके लिए उन्होंने हावड़ा-गया ट्रेन की एसी कोच संख्या-3 में रिजर्वेशन टिकट लिया था लेकिन जब ट्रेन नवादा स्टेशन पर पहुंची, तो एसी कोच तक पहुंचना ही मुश्किल हो गया। पूरी ट्रेन कांवरियों से खचाखच भरी थी। बामुश्किल कुछ लोगों की मदद से उन्होंने अपनी बेटी को ट्रेन के एक सामान्य कोच के दरवाजे पर चढ़ाया, जहां वह सुल्तानगंज तक खड़ी रहकर यात्रा करने को मजबूर हुई। भागलपुर जा रहे यात्री रंजीत कुमार ने बताया, हमने रिजर्वेशन करवाया था फिर भी सीट पर बैठने नहीं दिया गय। विरोध करने पर उल्टा हमसे ही बहस की गयी।
महिला यात्री पुष्पा देवी ने बताया कि सभी को भगवान में आस्था है, लेकिन ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि दूसरों की यात्रा में बाधा आये। बच्चों के साथ खड़े रहना बहुत मुश्किल हो गया। इसी तरह सैकड़ों यात्री इस भीड़भाड़ के चलते असुविधा झेलने को मजबूर हैं। रिजर्वेशन टिकट लेकर भी यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने की जगह नहीं मिल रही है। कई यात्री तो अपनी मंजिल तक खड़े होकर ही पहुंचते हैं।
यह स्थिति खासतौर पर उन यात्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाती है, जो बुजुर्ग, महिलाएं या छोटे बच्चों के साथ सफर कर रहे होते हैं। रेल प्रशासन के मुताबिक सावन के महीने में कांवरियों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाती है, जिससे नियमित ट्रेनों पर दबाव बहुत ज्यादा हो जाता है। हालांकि आरपीएफ और टीम हर स्टेशन पर तैनात रहती है, लेकिन ट्रेनों की संख्या और संसाधनों की कमी के चलते भीड़ को पूरी तरह नियंत्रित कर पाना मुश्किल हो रहा है।
स्थानीय लोगों ने रेल मंत्रालय से अपील की है कि कांवर यात्रा के दौरान स्पेशल ट्रेन में ही कांवरियों के लिए व्यवस्था की जाए, ताकि आम यात्रियों को राहत मिल सके। यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए अब यह जरूरी हो गया है कि धार्मिक अवसरों पर विशेष योजना बनाकर ट्रेनों का संचालन किया जाए। सावन की आस्था के साथ-साथ यात्रा की व्यवस्था भी जरूरी है। जब तक धार्मिक उत्सवों और यात्रियों की सुविधा के बीच संतुलन नहीं बनेगा, तब तक हर साल यही संघर्ष दोहराया जाता रहेगा।
भईया जी की रिपोर्ट