नवादा : पकरीबरावां प्रखंड मुख्यालय बाजार छोटी तालाब मुहल्ले में एक ही समुदाय के दो पक्षों के बीच नाली विवाद को सुलझाने गयी 112 पुलिस बल पर जमकर पथराव किया गया। ऐसा पुलिस द्वारा एकतरफा कार्रवाई से क्षुब्ध लोगों ने किया। पथराव में वाहन के शिशे टूटे तो कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए। जबाबी कार्रवाई में पहुंची पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया तो विरोध में थाने का घेराव करने पहुंची महिलाओं को मारपीट कर भगा दिया गया। इतने से पुलिस का मन नहीं भरा तो देर रात साठ-सत्तर की संख्या में पहुंची पुलिस ने घरों के दरवाजे तोड़ जमकर तांडव मचाया।
आरोप है कि महिला तो महिला एक वर्ष के बच्चे तक को नहीं छोड़ा। हालात यह कि मुहल्ले के लोग घर छोड़कर पलायन कर गए तो मुहल्ले में सन्नाटा पसरा है। वैसे पुलिस पर किये गये हमले को किसी भी हाल में उचित नहीं कहा जा सकता। पुलिस समाज में शांति कायम करने के लिए है। अगर वह ग़लत करती है तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जा सकता है न कि पुलिस पर हमला। लेकिन पुलिस ने बदले की भावना से जो कुछ किया उसे भी उचित नहीं कहा जा सकता। फिर पुलिस व उग्रवादियों में फर्क ही क्या रह गया? कानून सबों के लिए है।
कानून का पालन करने के लिए ही पुलिस बल की व्यवस्था की गयी है। लेकिन जब पुलिस बल ही कानून को हाथ में लेने लगे तो फिर देश का भगवान ही मालिक है। सर्वोच्च न्यायालय कहती है न्यायालय का भी अगर वारंट है तो पुलिस रात में किसी घर में प्रवेश नहीं कर सकती। यहां तक कि सारी कार्रवाई का वीडियो कराया जाना आवश्यक है। फिर बगैर प्राथमिकी या न्यायालय के वारंट के घरों में वह भी देर रात प्रवेश कर पुलिस ने बर्बरता का जो परिचय दिया इसकी उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है। अब सबसे बड़ा सवाल जांच करेगा कौन?
भईया जी की रिपोर्ट