नवादा : कहते हैं सपने सच नहीं होते। सपने अगर आंखों में सच्चे हों और हौसलों की उड़ान में परिवार का संबल हो, तो कोई मंज़िल दूर नहीं होती — यह सिद्ध कर दिखाया है जिले के अकबरपुर प्रखंड क्षेत्र के बरहोरी गांव निवासी विशाल रंजन ने। कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) 2025 में शानदार सफलता प्राप्त कर उन्होंने न केवल अपने गांव और परिवार, बल्कि पूरे जिले को गौरवांवित किया है।
11 जुलाई 2025 को विशाल रंजन ने चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (Chanakya National Law University – CNLU), पटना में विधिवत नामांकन लिया, जहां वे भारत के भविष्य विधिवेत्ताओं के बीच विधिशास्त्र की उच्च शिक्षा प्राप्त करेंगे। उनके इस प्रवेश को ग्रामीण क्षेत्र से निकलकर राष्ट्रीय विधिक मंच तक पहुंचने वाली उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
शुरुआत संघर्षों से, लेकिन संकल्प अपार
विशाल की सफलता का यह सफर किसी दिन या रात का परिणाम नहीं, बल्कि वर्षों की तपस्या, अनुशासन और अविचल आत्मविश्वास की परिणति है। सैनिक स्कूल नालंदा जैसे प्रतिष्ठित एवं अनुशासित संस्थान से शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने 2022 में मैट्रिक और 2024 में इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने दो बार राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की कठिन परीक्षा भी पास की जो युवाओं के लिए गौरव का प्रतीक मानी जाती है।
हालांकि सेवा चयन बोर्ड (SSB) के अंतिम चरण में वे मामूली अंतर से चयनित नहीं हो सके, लेकिन यह असफलता उनके इरादों को डिगा नहीं सकी। उन्होंने अपने अगले लक्ष्य को चुना CLAT और मात्र तीन महीनों की एकाग्र और केंद्रित तैयारी से देश की सर्वोच्च विधि प्रवेश परीक्षा को भी पार कर लिया।
परिवार:- जहां से शुरू होती है शक्ति की कहानी
इस सफलता की पृष्ठभूमि में जो सबसे सशक्त स्तंभ रहा — वह है उनका परिवार। पिता श्री उपेन्द्र कुमार जो नवादा व्यवहार न्यायालय में वर्षों से अधिवक्ता के रूप में कार्यरत हैं। पेशे से वकील होते हुए भी वे सामाजिक जिम्मेदारियों से कभी विमुख नहीं हुए। बढ़ई समाज के नवादा जिलाध्यक्ष के रूप में उन्होंने समाज के उत्थान के लिए सतत योगदान दिया है। उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, चाहे आर्थिक सीमाएं हों या समय की कमी, उन्होंने कभी उन्हें पढ़ाई से समझौता नहीं करने दिया।
माता कुमारी श्वेता सुमन
शिक्षित एवं संवेदनशील गृहिणी हैं, जिन्होंने परिवार में एक संस्कारित और अनुशासित वातावरण बनाए रखा। उनकी निःशब्द परवरिश ने बच्चों में दृढ़ता, सेवा भावना और अध्ययनशीलता को गहराई से स्थापित किया।दादाजी श्री बालेश्वर मिस्त्री, जो ग्राम में एक अत्यंत सम्मानित एवं सामाजिक सोच वाले बुज़ुर्ग हैं, ने भी इस सफलता को पूरे परिवार के त्याग और समर्पण का परिणाम बताया।
शैक्षणिक परंपरा को आगे बढ़ाता एक परिवार
विशाल के घर का वातावरण शैक्षणिक प्रेरणा का केंद्र बन चुका है। उनके बड़े भाई मनीष रंजन चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी में ही विधि के चतुर्थ वर्ष के छात्र हैं, और बहन प्रतिभा केंद्रीय विश्वविद्यालय से लॉ (LL.B.) की पढ़ाई कर रही हैं। यह पारिवारिक परंपरा एक स्पष्ट संकेत देती है कि जहां शिक्षा को सम्मान दिया जाए, वहां पीढ़ियाँ भी ज्ञान की रोशनी से जगमगाने लगती हैं।
लक्ष्य IAS: कानून से प्रशासन की ओर
विशाल की महत्वाकांक्षा यहीं नहीं रुकती। उनका अगला लक्ष्य संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त करना है। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित होकर न केवल राष्ट्र की सेवा करना चाहते हैं, बल्कि ग्रामीण भारत में न्याय, शिक्षा और समानता की ज्योति जलाना चाहते हैं। उनके अनुसार, कानून केवल एक पेशा नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम है और वह परिवर्तन वे प्रशासनिक भूमिका में रहकर लाना चाहते हैं।
उत्साह का संदेश
हर ठोकर मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही। मेरे माता-पिता का विश्वास, स्कूल से मिला अनुशासन और खुद से की गई ईमानदार मेहनत ही मेरी असली ताक़त है। मैं यह सफलता उन तमाम युवाओं को समर्पित करता हूँ जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं,” — विशाल रंजन
निष्कर्ष
विशाल रंजन की सफलता केवल एक छात्र की कहानी नहीं है यह गांव की मिट्टी से निकले एक स्वप्नदृष्टा की गाथा है, जो हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो संघर्षों से हार मानने के बजाय उन्हें सीढ़ी बना लेता है। यह कहानी बताती है कि अगर परिवार साथ हो, तो कोई भी परीक्षा कठिन नहीं।
भईया जी की रिपोर्ट