नवादा : जिले की पुलिस पर किसी निर्दोष को फंसाने के तरह तरह के हथकंडे अपनाए जाने के आरोप अक्सर लगते रहते हैं। कुछ मामले में सत्यता भी रहती है जिसे दबी जुबान से पुलिस अधिकारी स्वीकार भी करते हैं। लेकिन अब वन विभाग के अधिकारी भी पुलिस के नक्शे कदम पर चलने लगे हैं। ऐसा होने से वन अधिकारी भले ही खुद अपनी पीठ थपथपा फिलहाल सुकून महसूस कर लें लेकिन भविष्य में उनकी मुश्किलें बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
जग जाहिर है जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड क्षेत्र के बंद पड़े अभ्रक खदानों में माफियाओं द्वारा अवैध खनन लगातार जारी है। वन विभाग कार्रवाई भी करती है लेकिन दिखावे के लिए। कार्रवाई वहीं होती है जहां से अवैध राशि मिलने में विलम्ब होता है। ताजा मामला रजौली के बंद पड़े भानेखाप अभ्रक खदान के पास के गांव का है। मंगलवार की देर रात बुधवार की अहले सुबह जब पूरा गांव सो रहा था अचानक वन अधिकारी अपने लाव लश्कर के साथ पहुंचते हैं और घरों के पास लगे ट्रैक्टरों व कम्प्रेशर मशीनों को जब्त कर वन परिसर कार्यालय में लगा देते हैं।
सुबह जब ग्रामीणों की आंखें खुलती है और घरों से बाहर निकलते ही घरों के पास से ट्रैक्टरों को गायब देख उनके पैरों तले से जमीन ही खिसक जाती है। जबतक खोजबीन शुरू करते हैं पता चलता है ट्रैक्टरों को वन विभाग के अधिकारी उठा ले गए हैं। जानकारी मिलते वन विभाग के प्रति गुस्सा फूटने लगा है।
वैसे वन विभाग कार्यालय परिसर में लगे खाली ट्रैक्टर खुद इसकी गवाही दे रहे हैं। कैमरे में कैद खाली ट्रैक्टर चिख चिखकर वन अधिकारी की मनमानी की दास्तां बयां कर रहे हैं।स्थानीय लोगों का आरोप है कि बंद पड़े सवैयाटांड़ शारदा माइंस में दिन के उजाले में ब्लास्ट कर सैकड़ों ट्रक अभ्रक की कालाबाजारी की जा रही है लेकिन वहां किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है।
दूसरी ओर बेरोजगार मजदूरों द्वारा हाथों से ढिबरा चुनकर परिवार का भरण-पोषण करने वालों के विरुद्ध लगातार कार्रवाई की जा रही है। बहरहाल मामला चाहे जो मंगलवार-बुधवार की कार्रवाई पर स्थानीय लोगों को गुस्सा सातवें आसमान पर है। यह कब फूट पड़े कहना मुश्किल है। ऐसे में जिला प्रशासन को गंभीरता से जांच कराये जाने की आवश्यकता है।
भईया जी की रिपोर्ट