पटना : मौलाना मजहरुल हक अरबी और फारसी विश्वविद्यालय, पटना ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश के अनुरूप राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) से प्रत्यायन प्राप्त करने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है। विदित हो कि सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को वर्ष 2027 तक NAAC ग्रेडिंग सुनिश्चित कराना अनिवार्य है।
संस्थागत पहल करते हुए , विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) ने NAAC प्रक्रिया विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालय के शैक्षणिक समुदाय को NAAC प्रक्रिया, मूल्यांकन और प्रत्यायन प्रक्रिया में शामिल जटिलताओं से परिचित कराना था। कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलमगीर के संरक्षण एवं कुलसचिव कर्नल कामेश कुमार के मार्गदर्शन में किया गया।
कार्यशाला की शुरुआत करते हुए अपने प्रारम्भिक टिप्पणी में , आइ क्यू ए सी समन्वयक डॉ. मोहम्मद जावेद अख्तर ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए आमंत्रित विशेषज्ञों-बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के डॉ. केसी पटनायक और इंजीनियार एस एम नेयाज का परिचय कराया। उन्होंने मौलाना मजहरुल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय के लिए कार्यशाला के महत्व पर यह कहते हुए जोर दिया कि यह विश्वविद्यालय अपेक्षाकृत युवा संस्थान है जिसमें अधिकतर नए संकाय सदस्य हैं और जो सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।
उन्होंने कहा “यह कार्यशाला न केवल NAAC के मैट्रिक्स के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए बल्कि निरंतर गुणवत्ता सुधार की संस्कृति शुरू करने के लिए भी आवश्यक है।” डॉ. जावेद ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय को NAAC मान्यता प्रक्रिया के लिए पूरी तरह से तैयार करने की दिशा में काम करते हुए जल्द ही विश्वविद्यालय के गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए इसी तरह की कार्यशाला आयोजित की जाएगी।
विशेषज्ञ श्री नियाज़ ने NAAC द्वारा प्रस्तावित दस बिंदुओं पर आधारित प्रत्यायन प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की। श्री नेयाज ने NAAC मूल्यांकन प्रक्रिया में दस्तावेज़ीकरण के बढ़ते महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने टीम वर्क और उचित दस्तावेजीकरण और डेटा रखने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्हों ने मामूली बुनियादी ढांचे वाले एक छोटे कॉलेज का उदाहरण दिया, जिसने बेहतर दस्तावेजीकरण और अकादमिक गुणवत्ता के कारण बिहार में एक बहुत बड़े विश्वविद्यालय से बेहतर प्रदर्शन किया।
इसके बाद डॉ केसी पटनायक ने एक व्यापक प्रस्तुति दी, जिन्होंने NAAC मान्यता के लिए आवश्यक सभी दस गुणवत्ता विशेषताओं का विवरण दिया गया। डॉ पटनायक ने नैक मूल्यांकन में हाल के सुधारों के प्रासंगिक अवलोकन पर परिचर्चा के साथ अपना व्याख्यान शुरू किया। उन्होंने नैक मूल्यांकन पर डॉ. राधाकृष्णन समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसे 2024 में उच्च शिक्षा मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था और जिसने पूरे भारत में सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए NAAC प्रत्यायन अनिवार्य कर दिया है।
डॉ. पटनायक ने विश्वविध्यालयों में पाठ्यक्रम संरचना और विकास, संकाय-विकास कार्यक्रम, शैक्षणिक नवाचार, अनुसंधान में नवाचार , और शिक्षण प्रबंधन प्रणालियों (LMS) में डिजिटल प्लेटफार्मों का एकीकरण जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने संकाय सदस्यों को विकास के लिए सतत प्रयास और संस्थागत सुशासन और सुधारों में सक्रिय भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
कार्यशाला में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कर्मियों ने सक्रिय प्रतिभाग करते हुए अपने प्रश्न रखे , NAAC मूल्यांकन के कई पहलुओं पर विशेषज्ञों से स्पष्टीकरण प्राप्त किए। कार्यशाला का समापन विश्वविद्यालय में गुणवत्ता बढ़ाने और दृढ़ संकल्पता साथ नैक की तैयारी में जुड़ जाने के संकल्प के साथ हुआ। विशेषज्ञों ने टीम भावना, मौजूदा कमियों की स्वीकृति, चुनौतियों पर काबू पाने के लिए सामूहिक प्रयास और उच्च NAAC ग्रेड प्राप्त करने के सतत प्रयास एवं उच्च मानक स्थापित करने के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने सभी विभागों से नैक प्रक्रिया के लिए सामूहिक रूप से मिल कर प्रयास करने का आह्वान किया और कहा कि इसे एक औपचारिक आवश्यकता के रूप में नहीं बल्कि अकादमिक उत्कृष्टता का मानक स्थापित करने के अवसर के रूप में लिया जाना चाहिए। कार्यक्रम का औपचारिक समापन इस्लामिक अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ तहसीन ज़मान द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
प्रभात रंजन शाही की रिपोर्ट