नवादा : कर्मचारियों के पदस्थापन से लेकर स्थानांतरण तक का कोई मापदंड निर्धारित नहीं है। अधिकांश कर्मचारियों का स्थानांतरण भले ही तीन वर्षों में किया जाता रहा हो लेकिन दर्जनों विभाग में ऐसे कर्मचारी हैं जो पन्द्रह से भी अधिक वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हैं। जाहिर है ऐसे कर्मचारियों का अपने कार्यालय में मनमानी चलती है। चले भी क्यों नहीं? जब अधिकारी मेहरबान हो तो फिर कहना ही क्या?
जी हां! यहां हम बात कर रहे हैं रजौली प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी कार्यालय का। यहां के लेखापाल रविन्द्र पिछले करीब पन्द्रह वर्षों से भी अधिक समय से एक ही कार्यालय में जमे हैं। बुधवार को इनका आरटीआई कार्यकर्ता को धमकी से संबंधित आडियो वायरल हुआ था। सोशल मीडिया व अखबारों की सुर्खियां बनी लेकिन अबतक कार्रवाई तो दूर जांच तक आरंभ नहीं की गयी है।
आइए पूर्व में इनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की कहानी सुनाते हैं। रविन्द्र लेखापाल का स्थानांतरण जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा शुभ-लाभ के चक्कर में नहीं किया जा रहा है। रविन्द्र लेखापाल 15 वर्षो से भी अधिक समय से रजौली प्रखंड में कार्यरत हैं। रविन्द्र लेखापाल के भ्रष्टाचार से संबंधित आवेदन सिरदला प्रखंड के एक मुखिया द्वारा लिखा गया था। लेकिन जिला शिक्षा पदाधिकारी को शुभ-लाभ के उपरांत दबा दिया गया। रविन्द्र लेखापाल के द्वारा वर्तमान में सभी शिक्षकों से सेवा-पुसि्तका के संधारण में 2000-3000/- रुपया वसूली किया जा रहा है।
रजौली में एमडीएम का पायलट प्रोजेक्ट चालू हुआ है। बीईओ के द्वारा बैंक के फार्मेट पर शिक्षकों का हस्ताक्षर अभिप्रमाणित करने के एवज में रविन्द्र लेखापाल के द्वारा 1000-2000/- राशि का डिमांड किया जा रहा है। रविन्द्र लेखापाल के द्वारा कहा जाता है जो हम कहेंगे वही रजौली बीआरसी में होगा। लेखापाल के द्वारा कहा जाता है कि एमडीएम का मालिक हम हैं, डीपीओ क्या करेगा। इसकी जानकारी डीपीओ एमडीएम को भी दी गई है लेकिन कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में अब आरटीआई कार्यकर्ता को धमकी व भ्रष्टाचार में संलिप्त लेखापाल पर डीएम कार्रवाई कर भी पाते हैं या फिर…? इंतजार हर किसी को रहेगा।
भईया जी की रिपोर्ट