अरवल – पूर्व जिला पार्षद व भाजपा के वरिष्ठ नेता आनंद कुमार चंद्रवंशी ने प्रेस व्यान जारी कर कहा कि अरवल भाजपा जिला अध्यक्ष के गतिविधी एवं कार्यशैली से ऐसा महसूस हो रहा है कि वह जिले मे महागठबंधन टीम को मदद पहुंचाना चाह रहे हैं। 13 मई के भाजपा जिला कार्यसमिति बैठक में अतिपिछड़ी जाति एवं अनुसूचित जाति के कार्यकर्ताओं को मंच पर जगह नहीं दिया गया और नहीं इस वर्ग से किसी कार्यकर्ताओं से भाषण ही कराया गया।यही नही यह जिलाध्यक्ष के दोनों कार्यकाल पर नजर गड़ाकर देखा जाय तो किसी भी पार्टी के कार्यक्रम में अतिपिछड़ी जाति एवं अनुसूचित जाति के कार्यकर्ताओं को मंच पर जगह नहीं दिया गया है केवल अतिपिछड़ी जाति एवं अनुसूचित जाति के चिन्हित कार्यक्रम को छोड़कर। ऐही नही यह भी देखा जा रहा है कि अरवल विधानसभा के निर्वर्तमान प्रत्याशी रहे दीपक शर्मा के साथ भी भेदभाव किया जा रहा है।
उन्हें भी इस जिला कार्यसमिति बैठक से वंचित किया गया है, पूर्व जिला उपाध्यक्ष शशि भूषण भट्ट, शंकर सिंह. पूर्व जिला महामंत्री बेन्कटेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा, कुशवाहा चंदन , माधो शर्मा, युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष सुजीत चंद्रवंशी, मुकुल पटेल, जगदीश यादव, रम्भु पंडित जैसे दर्जनों कार्यकर्ताओं को उपेक्षित किया जा रहा है जो आज भी पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता हैं और निरंतर जनता और अपने कार्यकर्ता के बीच सक्रिय हैं, इस तरह जिला अध्यक्ष द्वारा नजर अंदाज़ किया जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है इससे पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के साथ ही युवाओं में भी नाराज़गी है इसका संज्ञान पार्टी के स्तर से तत्काल लेने की आवश्यकता है ।
हम सब जानते हैं कि भाजपा एक विचारधारा है, एक परिवार है – जहाँ कार्यकर्ता ही सबसे बड़ा आधार होता है। लेकिन आज जिला अध्यक्ष की मनमानी और स्वेच्छाचारिता ने अरवल मे भाजपा को हाशिए पर डाल दिया है, इससे प्रबुद्ध वर्ग और निष्ठावान कार्यकर्ताओं में भी भारी आक्रोश है। पार्टी की नीतियों के विपरीत, जिला स्तर पर निर्णय पारदर्शिता से नहीं लिए जा रहे। कोई भी कार्यक्रम और संगठन में नियुक्तियाँ चंद लोगों तक सीमित कर दी गई हैं जिससे ज़मीनी कार्यकर्ता खुद को ठगा महसूस कर रहा है।क्या ये हमारे मूल्यों और विचारधारा के खिलाफ नहीं हैं हम सभी अरवल जिला के कार्यकर्ता प्रदेश नेतृत्व को भी बार-बार स्थिति से अवगत कराया है, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
यह हमारी पार्टी के भविष्य की चिंता है जिसको हम सभी लोग दिन रात मेहनत कर सींचे है अगर ऐसे ही उपेक्षा चलती रही, तो ज़मीनी कार्यकर्ता टूट जाएगा–और एक बार कार्यकर्ता का विश्वास टूटा, तो संगठन की नींव हिल जाएगी। नेतृत्व संज्ञान में ले, ज़मीनी कार्यकर्ताओं को सम्मान मिले, और संगठन को संगठन की तरह चलाया जाए – न कि एक व्यक्ति की जागीर की तरह। “हमारे लिए भाजपा सिर्फ़ पार्टी नहीं है, ये हमारी आस्था है। लेकिन जब आस्था घायल होती है, तो आवाज़ उठाना ज़रूरी हो जाता है।
देवेंद्र कुमार की रिपोर्ट