पटना : पटना उच्च न्यायालय में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा तथाकथित राष्ट्रगान के अपमान के आरोप में जस्टिस चन्द्र शेखर झा ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने बेगूसराय के न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में दायर परिवाद पत्र की सुनवाई पर रोक लगा दिया था।नीतीश कुमार की तरफ से पटना हाईकोर्ट में एक अपराधिक विविध वाद दायर कर परिवाद पत्र को खत्म करने की गुहार लगाई गई थी।
मामले में सीएम की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने बहस करते हुए कोर्ट को बताया था कि पूरा मामला उनके मुवक्किल के खिलाफ बदनीयती से दायर किया गया है, जो आपराधिक कानून का दुरुपयोग है। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों की अनदेखी करते हुए उक्त परिवाद मामले में निचली अदालत कोर्ट में सुनवाई कर रही है, जो अवैध है। उहोंने रेखांकित करते हुए कि मुख्यमंत्री को लोकसेवक होने के बावजूद परिवादी का परीक्षण किए बिना आरोपी बनाना संहिता के स्पष्ट उल्लंघन है।
दरअसल, सेपक टेकरा वर्ल्ड कप के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रगान के दौरान मुख्यमंत्री के हाथ हिलाने का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसको आधार बनाकर विकास पासवान ने 22 मार्च, 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दोषी बनाते हुए बेगूसराय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में एक परिवाद पत्र दायर किया था। निचली अदालत में सीएम के खिलाफ दर्ज हुए परिवाद की सुनवाई पर रोक लगा दी थी। साथ ही परिवादी पर नोटिस जारी करने का भी आदेश था। लेकिन, आज कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है।