नवादा : मनरेगा मामले में घोटाला ही घोटाला है रे भाय! बगैर काम राशि तो निकल ही रही, कार्य का कहीं बोर्ड तक दिखाई नहीं दे रहा है। हालात यह है कि बोर्ड के नाम पर लाखों का वारा न्यारा हो रहा है। नियमत: कार्य आरंभ करने के पूर्व बोर्ड लगाना है। बोर्ड में योजना संख्या, कार्य का नाम, प्राक्कलित राशि, कार्य एजेंसी आदि का नाम अंकित करना है। उक्त कार्य के लिए प्रति बोर्ड पांच हजार रुपए राशि खर्च करने का प्रावधान है। बोर्ड के नाम पर राशि की निकासी तो करायी जा रही है लेकिन बोर्ड कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।
लूट की है खुली छूट
स्पष्ट है जिला प्रशासन ने मनरेगा में लूट की खुली छूट दे रखी है। सोशल मीडिया या अखबारों में छपी खबरों पर संज्ञान तक नहीं लिया जाता। जाहिर है जब जांच तक की खानापूर्ति होगी तब फिर राशि का बंदरबांट होना तय है। अधिकारी जब कार्यस्थल का निरीक्षण ही नहीं करेंगे तब फिर बोर्ड का पता चलेगा। फिर लाभुकों को जानकारी कैसे होगी किस मद से और कितनी प्राक्कलित राशि से कौन काम करा रहा है।
है नया प्रचलन
मनरेगा में एक नयी प्रथा जिले में लागू है। वह है किसी काम की स्वीकृति बगैर काम आरंभ कर दो फिर उक्त योजना को मनरेगा में डाल बगैर काम कराये राशि का बंदरबांट कर लो। ऐसी भी बात नहीं है कि अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है, है, लेकिन अपनी निजी कमाई के चक्कर में आंखें बंद कर तमाशा देख रहे हैं। अब फिर सबसे बड़ा सवाल आखिर जांच क्यों नहीं? जांच करेगा कौन?
भईया जी की रिपोर्ट