नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड क्षेत्र में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में की जा रही डुप्लीकेसी पर रोक कौन लगाएगा? सवाल पूछा जाने लगा है। योजना का नूबदलकर लूट बाजार गर्म है। जी हां! ऐसा मैं नहीं सरकारी दस्तावेज कह रहा है। लेकिन जब अधिकारी ही मेहरबान हो तो कहना ही क्या? जी हां! यहां हम बात कर रहे हैं अमांवां पूर्वी पंचायत की। अमांवां पूर्वी पंचायत छोटकी आहर में पंचायत समिति कोष से वर्ष 2022- 2023 में कार्य कराया गया था। कार्य का शुभारंभ 05/04/ 2023 से आरंभ होकर 10 /06/ 2023 को समाप्त हुआ था।
अब जलछाजन विभाग द्वारा अधिकारियों की मिलीभगत से छोटकी आहर का नाम बदलकर बुतरुआ आहर कर कार्य आरंभ कराया दिया गया है। अब सबसे बड़ा सवाल जब अमांवां पूर्वी पंचायत की किसी गांव में बुतरुआ आहर है ही नहीं तब फिर अंचल अधिकारी ने अनापत्ति प्रमाण-पत्र निर्गत किया कैसे? फिर जब मात्र दो वर्ष पूर्व पंचायत समिति की योजना से छोटकी आहर उर्फ बुतरुआ आहर में काम हुआ तब फिर मात्र दो वर्ष के अंतराल पर जलछाजन योजना से स्विकृति मिली कैसे? जाहिर है सारे खेल में अंचल से लेकर तमाम अधिकारियों का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान है ताकि राशि की बंदरबांट कु जा सके।
अब समाहर्ता की जिम्मेदारी बनती है कि वे सारे मामले का स्वयं संज्ञान लेकर न केवल जांच करें बल्कि संबंधित दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करें। वैसे स्थानीय लोगों को जिला प्रशासन से उम्मीद भी नहीं है। क्योंकि रजौली प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा हो या अन्य सरकारी योजना सभी का हाल बेहाल है। और यह तभी संभव है जब इसकी सीबीआई से जांच करायी जाये। अब फि सवाल उठता है ऐसा करायेगा कौन? डीएम साहब आंखें खोलिए और देखिए जिला में कैसे सरकारी राजस्व की लूट हो रही है।
भईया जी की रिपोर्ट