नवादा : बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां आरंभ हो गई है। इसी कड़ी में सोमवार को एनडीए का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हुआ। कार्यकर्ता सम्मेलन के बहाने टिकट के दावेदारों ने अपनी अपनी ताकत का एहसास अपने अपने प्रदेश अध्यक्षों के सामने प्रदर्शित किया। सम्मेलन में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दलीय अध्यक्षों ने आमंत्रित तो किया लेकिन किसी को बोलने का अवसर तक नहीं दिया जाना चुनावी वर्ष में जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।
आश्चर्य यह कि प्रदेश से आये अल्पसंख्यक समुदाय के नेता को मंच पर स्थान तो दिया लेकिन संबोधन का अवसर प्रदान नहीं किया गया। उक्त मामले दोषी अध्यक्ष या फिर मंच संचालक? सवाल पूछा जाने लगा है। जदयू के सक्रिय कार्यकर्ता राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य सह गोविंदपुर पंचायत की पूर्व मुखिया अफरोजा खातुन हजारों समर्थकों के साथ सम्मेलन स्थल पर पहुंची लेकिन उन्हें मंच पर स्थान नहीं दिया गया। जदयू की ओर से सर्वाधिक भीड़ जिसमें महिलाओं की तायदाद अच्छी खासी थी को उपेक्षित किया जाना लोगों को रास नहीं आया तथा आज भी इस पर चर्चा का बाजार गर्म है।
बता दें इसके पूर्व भी 10 फरवरी को मुख्यमंत्री के गोविंदपुर प्रखंड क्षेत्र के महावरा दौरा पर जदयू जिलाध्यक्ष द्वारा उन्हें उनके घर में ही नीचा दिखाने की हरसंभव कोशिश की गयी थी लेकिन मुख्यमंत्री के सामने हंगामा के बाद खुद मुख्यमंत्री व मंत्री विजय चौधरी ने उन्हें न केवल बुलाया बल्कि गुलदस्ता व शाल भी स्वीकार किया था। बावजूद जदयू अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री का इशारा नहीं समझा और फिर वही भूल कर दी। बहरहाल एनडीए के संपन्न कार्यकर्ता सम्मेलन में अल्पसंख्यकों की उपेक्षा जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है जिसका खामियाजा बिहार विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
भईया जी की रिपोर्ट