पटना : पटना पुस्तक मेले में चल रहे सिनेमा उनेमा फिल्मोत्सव के सातवें दिन शुक्रवार को बिहार में सिने सोसाइटी आंदोलन के प्रणेता गौतम दासगुप्ता को सम्मानित किया गया। पटना पुस्तक मेला के संयोजक अमित झा ने गौतम दासगुप्ता को प्रशस्ति-पत्र, प्रतीक चिह्न, पौधा आदि देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर दासगुप्ता ने कहा कि भारत में सिने सोसाइटी आंदोलन सत्यजीत रे का ब्रेनचाइल्ड है। इस आंदोलन से पता चला कि सिनेमा दरअसल मानव जीवन का चाक्षुष दस्तावेजीकरण है। सिने सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. जय मंगल देव ने गौतम दासगुप्ता के 42 वर्षों के सिनेमाई अवदानों को याद किया।
मुख्य वक्ता डॉ. कुमार विमलेंदु सिंह ने ‘पश्चिम की कहानियों का भारत में प्रयोग’ विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि किसी कहानी या फिल्म से प्रेरित होकर फिल्म बनाना बुरा नहीं है। लेकिन, प्रेरित होने के नाम पर नकल कर लेना दुखद है। रोमियो-जूलियट से लेकर गॉडफादर व शैक्सपियर तथा बर्नाड शॉ तक के नाटकों के भारतीय सिनेमा में रूपांतरण को उदाहरण देकर रोचक तरीके से समझाया कि कैसे यूरोप के एक ही नाटक या कहानी पर हिंदी में अलग—अलग दशकों में भिन्न फिल्में बनीं। उन्होंने यूरोपीय फिल्म आंदोलन, अमेरीकी फिल्म निर्माण व 19वीं सदी के यूरोपीय साहित्य पर बनी हिंदी फिल्मों में समानता का भी तुलनात्मक चित्रण किया।
इससे पूर्व पटना पुस्तक मेला के संयोजक अमित झा ने कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. कुमार विमलेंदु सिंह को प्रतीक चिह्न, तुलसी पौधा आदि देकर सम्मानित किया। इस दौरान जलगाथा फिल्म दिखायी गई। संयोजन व मंच संचालन फिल्म समीक्षक प्रशांत रंजन ने किया। इस अवसर पर जानेमाने फिल्म विश्लेषक प्रो. जय देव, वरीय रंगकर्मी नीलेश्वर मिश्र, रंजीता तिवारी समेत जनसंचार के विद्यार्थी एवं सिने प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।