नवादा : पटना हाई कोर्ट ने जिले के मुफ्फसिल में वंचितों के घरों को जला देने के मामले में पुलिस अधीक्षक को इलाके में निरंतर निगरानी का निर्देश दिया है, ताकि आगे ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि प्रभावित परिवारों की सहायता की जाए, ताकि उनकी स्थिति में सुधार हो और उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाया जा सके। गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने वंचितों के घरों को जला देने की घटना पर स्वतः संज्ञान लिया था। राज्य सरकार ने कोर्ट को क्या बताया?
राज्य सरकार ने हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया कि उपद्रवियों द्वारा चौंतीस (34) झोपड़ियों में आग लगा दी गई थी। एफआईआर में नामजद 28 आरोपियों में से 15 को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। मुख्य आरोपी नंदू पासवान को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले की जांच जारी है। सभी 34 प्रभावित परिवारों को मनरेगा योजना के तहत जॉब कार्ड जारी कर दिए गए हैं, 22 परिवारों के पास पक्के मकान हैं तथा 12 परिवारों का पंजीकरण आवास पोर्टल पर किया गया है।
प्रभावित परिवारों की महिलाओं के भरण-पोषण एवं जीविकोपार्जन हेतु ऋण सुविधा सुनिश्चित करने के लिए बस्ती में दो स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाए गए हैं। राज्य परियोजना निदेशक, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद, बिहार, पटना से उपयुक्त भूमि आवंटित कर बस्ती में एक प्राथमिक विद्यालय की स्थापना हेतु अनुरोध किया है, जिसे राज्य परियोजना निदेशक द्वारा स्वीकृत कर दिया गया है। प्रभावित परिवारों को राशन कार्ड जारी कर दिए गए हैं तथा विद्युत आपूर्ति प्रमंडल द्वारा घटनास्थल पर प्रकाश की व्यवस्था की गई है।
असैनिक शल्य चिकित्सक-सह-मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा विशेष चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया है तथा प्रभावित परिवारों के सभी सदस्यों की चिकित्सा जांच की जा रही है। प्रभावित परिवारों को आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं तथा महिलाओं एवं बच्चों का टीकाकरण भी नियमित आधार पर किया जा रहा है। बाल संरक्षण इकाई द्वारा प्रायोजन योजना के तहत 08 योग्य बच्चों की पहचान की गई है, जिन्हें 4,000/- रुपये प्रतिमाह का लाभ दिया जाएगा। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा उठाये गए कदमों पर संतुष्टि जताते हुए मामले को निष्पादित कर दिया।
भईया जी की रिपोर्ट