पटना : पटना पुस्तक मेले में चल रहे सिनेमा-उनेमा फिल्मोत्सव के चौथे दिन मंगलवार को वरीय फिल्मकार एवं बीबीसी के पूर्व साउंड रिकॉडिस्ट आरबी सिंह को सम्मानित किया गया। सम्मान पाकर भावुक हुए आरबी सिंह ने कहा कि यह सुखद है कि डॉक्यूमेंट्री विधा में काम करने वाले को भी अब समाज स्वीकार कर रहा है एवं सम्मानित कर रहा है। यह बिहार के सिनेमा के लिए अच्छा संकेत है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता फिल्म अकादमिशियन फ्रैंक क्रिशनर ने ‘सिनेमा के पर्यावरणीय योगदान’ विषय पर कहा कि डॉक्यूमेंट्री प्रारूप में पर्यावरण संरक्षण व जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत व इसके बाहर हजारों फिल्में बनी हैं और लगातार बन रही हैं। लेकिन, इसके साथ एक समस्या है कि यह लोकप्रिय प्रारूप नहीं है। इस कारण आम जनमानस में इसके संदेश का व्यापक स्तर पर प्रसार नहीं होता है। हां, अकादमिक स्तर पर होने वाले गंभीर विमर्शों में इसकी भूमिका जरूर होती है। तथापि, इनको देखने वालों की संख्या अत्यंत कम होती हैं। इसलिए पर्यावरण आधारित फीचर प्रारूप में अधिक संख्या में फिल्में बननी चाहिए, ताकि बड़े पैमाने पर दर्शक देखकर लाभांवित हो सके। उन्होंने ओडिशा के प्रसिद्ध फिल्मकार पद्मश्री नील माधव पांडा का उदाहरण देते हुए कहा कि वे पर्यावरण केंद्रित फिल्में अधिक बनाते हैं। पांडा की संजय मिश्रा अभिनीत फिल्म ‘कड़वी हवा’ की चर्चा करते हुए उन्होंने जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकट की ओर ध्यान दिलाया। इसके अतिरिक्त उन्होंने अस्सी के दशक में केरल में चले साइलेंट वैली की भी चर्चा की व उसके पर्यावरणीय आयाम को उद्घाटित किया।
इससे पूर्व सीआरडी के अध्यक्ष रत्नेश्वर ने कार्यक्रम के प्रथम दर्शक सह मुख्य अतिथि जगजीवन सिंह, मुख्य वक्ता फ्रैंक क्रिशनर को प्रतीक चिह्न, पौधा आदि देकर सम्मानित किया। मंच संचालन रंगकर्मी कुमार रविकांत ने किया। इस अवसर पर वरीय रंगकर्मी नीलेश्वर मिश्र, रमेश सिंह, फिल्मकार रीतेश परमार, राजीव कुमार समेत जनसंचार के विद्यार्थी एवं सिने प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।