बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन सदन के इतिहास में पहली बार एक ऐसी घटना हुई जिससे राजनीति स्तब्ध रह गई। हुआ ये कि सदन की कार्यवाही शुरू होते ही राजद के विधायक भाई वीरेंद्र सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जाकर बैठ गए। यह किसी विपक्षी विधायक द्वारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसन जमाने की सदन के इतिहास में हुई पहली घटना है। भाई वीरेंद्र के ऐसा करते ही सत्ता पक्ष के सदस्य हत्थे से उखड़ गए। वहीं विपक्ष भी उनके साथ जुबानी जंग में भिड़ गया जिससे शीत कालीन सत्र का लगातार चौथा दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गयाऔर विधानसभा अध्यक्ष् ने सदन की कार्यवाही दो बजे दिन तक स्थगित कर दी।
सदन के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा
सत्ता पक्ष ने स्पीकर से राजद विधायक के इस रवैये पर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर दी। इसके बाद जब सदन में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले राजद विधायक भाई वीरेंद्र मामले में बुरी तरह फंसते नजर आए तो उन्होंने अपने बचाव में सफाई देने की कोशिश की। लेकिन सत्ता पक्ष उनपर कार्रवाई पर अड़ी रही। इसके कुछ देर के बाद भाई वीरेंद्र सामने आए और कहा कि उनकी मंशा मुख्यमंत्री की सीट पर बैठने की नहीं थी, बल्कि उनके द्वारा सदन को जगाने के लिए यह किया गया।
बुरी तरह फंसे राजद विधायक ने दी सफाई
दरअसल, आज सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले से ही विधानसभा परिसर में विपक्षी विधायक स्मार्ट मीटर, जमीन सर्वे आदि मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के विधायक उनके लिए सदन में सीट अरेंजमेंट को लेकर हंगामा करने लगे। राजद के आलोक मेहता ने विधानसभा अध्यक्ष से जानना चाहा था कि सदस्य अपने स्थान पर नहीं बैठते हैं, उसके लिए वह क्या कर रहे हैं? इसपर सत्ता पक्ष की तरफ से कुछ कहा गया जिसके बाद विपक्षी खेमे की ओर से हंगामा और तेज हो गया। इसी बीच अचानक भाई वीरेंद्र मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जा बैठे। ऐसा होते देख सत्ता पक्ष भड़क उठा।
जदयू-भाजपा ने स्पीकर से कार्रवाई को कहा
महागठबंधन विधायकों के हंगामे के बीच राजद नेता भाई वीरेंद्र द्वारा सीएम की कुर्सी पर बैठने की इस करतूत पर सत्ताधारी विधायक भी हंगामा करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष सदन को शांत कराने की कोशिश करते रहे, लेकिन यह मामला आगे ही बढ़ता गया। भाजपा विधायकों ने इसे अमर्यादित, अशोभनीय और अक्षम्य करार देते हुए भाई वीरेंद्र पर कार्रवाई की मांग की।