पटना : कोहबर रूट्स टू रूट त्रिदिवसीय मिथिला पेंटिंग्स के समापन समारोह के मुख्य अतिथि बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने कहा अगले सप्ताह वैसी पेंटिंग्स बिहार आ रही हैं जो आज से लगभग पचास साठ साल पहले मिथिला से अमेरिका गयी थी। उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंगस के विभिन्न मोटिव्स पर आधारित डिजाइन बुकलेट तैयार कराने तथा रांटी एवं जितवारपुर को कलाग्राम के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। विशिष्ट अतिथि अमेरिकी दूतावास के सेवानिवृत्त अधिकारी कैलाश चंद्र झा ने कहा मिथिला चित्रकला इतिहास के कुछ पन्ने अधूरे हैं। उन्होंने डब्ल्यू जी आर्चर वाल्टर हाउजर एवं अन्य विदेशी विद्वानों द्वारा दिए गए योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि मिथिला पेंटिंग्स के विस्तार की असीम संभावनाएं हैं।
उन्होंने फ्रेंच और अमेरिकी मानव शास्त्रिओं के बीच चल रहे विमर्शों को रोचक ढंग से समझाया। कार्यक्रम के समन्वयक भैरव लाल दास ने कहा कि कोहबर प्रदर्शनी को दूसरे शहरों में भी ले जाने की आवश्यकता है। आगत अतिथियों का स्वागत अलका दास एवं निभा लाभ ने किया। तीन दिवसीय कार्यक्रमों की विवरणी सौम्या आंचल ने प्रस्तुत किया। समारोह को वरिष्ठ कलाकार विमला दत्त ने भी संबोधित किया। इससे पूर्व कला एवं कलाकारों की स्थिति पर आयोजित संगोष्ठी में चेतना समिति की अध्यक्ष निशा मदन झा, तांत्रिक कलाकार आशुतोष झा, डॉ विनय कर्ण, राजेश कंठ , संजू दास आदि ने अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा कि कलाकारों को तुरंत पैसा कमाने की प्रवृत्ति से दूर रहकर अपनी कला के विकास पर ध्यान देनी चाहिए। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए। मैथिली कोहबर गीत से आयोजन का समापन हुआ। इस प्रदर्शनी में उन्चास महिला कलाकारों और तीन पुरुष कलाकारों की कैनवास पर बनाई पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई थी। ये कलाकार दिल्ली, मुंबई, कानपुर, लखनऊ, रांची, जमशेदपुर, धनवाद, भागलपुर, दरभंगा, मधुबनी, जनकपुर सहित देश के अन्य हिस्सों से आए थे।
प्रभात रंजन शाही की रिपोर्ट