-सरकारी कार्यक्रम बनाने का करेंगे प्रयास : बीडीओ
नवादा : कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी जेठान पर्व (देवोत्थान) के अवसर पर तमसा (तिलैया) नदी किनारे मंगलवार को भव्य तमसा महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर पहले सैंड आर्ट की मनोहारी कलाकृतियों और शाम होते ही दीपों से तमसा तट जगमगा उठा। शाम में नदी की गंगा महाआरती उतारी गई।
आयोजन के दौरान स्कूली बच्चों ने रंगोली से जल संरक्षण के तहत सेव वाटर सेव अर्थ, नारी सशक्तिकरण के तहत स्ट्रांग वूमेन स्ट्रांग वर्ल्ड, एशियाई वूमेन हॉकी चैंपियनशिप सहित मनोरम रंगोली बना विभिन्न संदेश दिया। इस दौरान लोगों ने ईख को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। कार्यक्रम का बीजारोपण करने वाले संस्था के संस्थापक स्मृति शेष डॉ. मिथिलेश कुमार सिन्हा को याद करते हुए उनके द्वारा आरंभ किया गया महोत्सव को बेहतर बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रखंड विकास पदाधिकारी
देवानंद कुमार सिंह साहित्यकार वीणा मिश्रा, अशोक स्मृति संस्थान के अध्यक्ष जितेंद्र आर्यन, बिहार प्रदेश विश्वकर्मा समाज के संरक्षक उमेश विश्वकर्मा, तमसा महोत्सव के अध्यक्ष देवेंद्र विश्वकर्मा, डॉ. शैलेंद्र कुमार प्रसुन, नालंदा की कवयित्री कुमारी अनमोल, कवि गौतम सरगम, मनीष कुमार कन्हैया, धनंजय पांडे, पंकज राज ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया।
प्रखंड विकास पदाधिकारी देवानंद कुमार सिंह ने तमसा महोत्सव को नदी संरक्षण के लिए एक बेहतरीन पहल बताया। उन्होंने इस कार्यक्रम को सरकारी कार्यक्रम बनाने के लिए प्रयास करने की बात कही।
इसके पूर्व कलाकार डाॅ. शैलेंद्र कुमार प्रसून व देवेंद्र कुमार विश्वकर्मा की देखरेख में आयोजित तमसा महोत्सव में विभिन्न विद्यालयों के बच्चों ने तमसा तट पर नदी बचाओ, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, व राजगीर में चल रहे एशिया वुमन हॉकी चैंपियनशिप सहित विभिन्न थीम पर आकर्षक रंगोली के माध्यम से संदेश दिया। रंगोली बना रही स्कूली छात्राओं ने कहा कि आज हर क्षेत्र मे बेटियों अपना परचम लहरा रही है। अगर बेटीयों को पर्याप्त मौका मिले तो हर क्षेत्र मे हम आगे रहेंगे।
सैंड आर्ट देखने को लेकर राहगीरों के थम रहे थे पांव
डां शैलेंद्र कुमार प्रसून व देवेंद्र विश्वकर्मा व अन्य सहयोगियों के द्वारा तिलैया नदी किनारे बनाए गये सैंड आर्ट में बाल रुपी कृष्ण और सुदामा की मित्रता को दर्शाती आकर्षक सैंड आर्ट लोगों का मनमोह रही थी। इस रास्ते से गुजरने वाले हर पांव सैंड आर्ट को देखने के लिए थमती दिखी।
शाम होते ही जगमग हुआ कच्ची मिट्टी के दीये से तट
शाम होते ही नदी तट व तमसा महोत्सव स्थल 1 हजार दीयों कि रोशनी से जगमग हो उठा। आयोजकों द्वारा नदी संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कच्ची मिट्टी के दीये बनबाये गये थे।
कवि सम्मलेन का भी हुआ आयोजन
कवि ओंकार शर्मा कश्यप के संचालन में बेहतरीन कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। मंचीय अध्यक्ष वीणा मिश्रा ने लव – कुश के शिक्षा के प्राचीन काल में लव कुश की शिक्षास्थली सीतामढ़ी को स्पर्श करती हुई पवित्र तमसा नदी का वंदन करके भारतवर्ष के समस्त नदियों की पवित्रता और अस्तित्व के संरक्षण का संकल्प दिलाया। कवियत्री अनमोल ने कलयुगी पुत्र पर कविता पाठ किया।
डॉ शैलेन्द्र कुमार प्रसून ने बहने दो न नदियों को, रहने दो न नदियों को, देवेन्द्र विश्वकर्मा ने मेरे घर के पास था एक पीपल, मनीष कन्हैया ने राष्ट्र ध्वज तो हम हैं… राष्ट्र से अपनी पहचान , धनंजय पांडेय ने आओ राम का वंदन करें। शाम में शिक्षक मधुकांत ने शंखनाद कर नदी की गंगा आरती की जिसके बाद तट व कार्यक्रम स्थल पर दीप प्रज्वलित होने के बाद कच्चे मिट्टी दीये के एक साथ जलाने के बाद तट जगमग हो गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में संरक्षक सुधीर कुमार मिथिलेश गुप्ता, विवेक कुमार, साजन कुमार सहित दर्जनों लोग लग रहे।
भईया जी की रिपोर्ट