केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज मंगलवार को आखिर पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल को उनके पद से हटा दिया। पटना एम्स के निदेशक डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल पर अपने बेटे का फर्जी नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट बनवाने का आरोप लगा था। इस मामले के उजागर होने के बाद भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक जांच कमेटी गठित की थी। इसी जांच कमेटी की सिफारिशी रिपोर्ट के बाद उन्हें कार्यकारी निदेशक पद से हटाया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक आदेश में कहा है कि अब उनकी जगह देवघर एम्स के निदेशक डॉक्टर सौरभ वार्ष्णेय पटना एम्स निदेशक का भी प्रभार संभालेंगे।
बेटे का फर्जी क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट बनवाने का आरोप
मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की दो सदस्यों वाली जांच कमेटी ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसके बाद आज मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्रवाई करते हुए पटना एम्स के निदेशक डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल को हटा दिया और उनकी जगह पर देवघर के एम्स निदेशक डॉक्टर सौरभ वार्ष्णेय को एम्स पटना का निदेशक का प्रभार सौंपा। अब अगले तीन माह तक डॉक्टर सौरभ वार्ष्णेय पटना एम्स के प्रभारी निदेशक रहेंगे।
देवघर एम्स निदेशक को तीन माह तक कार्यभार
जब इस संबंध में डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने अपना फोन नहीं उठाया। फिलहाल इस मामले में पटना एम्स का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहा है। डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल पटना एम्स के साथ ही गोरखपुर एम्स के भी निदेशक के प्रभार में थे। इस दौरान उन पर अपने बेटे औरो प्रकाश पाल का पटना से नॉन क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट बनवाकर गोरखपुर एम्स में पीजी में दाखिला दिलाने का आरोप लगा। सितंबर 2024 में इस मामले की शिकायत की गई थी। इसके अलावा उनकी बेटी का पटना एम्स में दाखिला भी विवादों में रहा है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इसकी जांच कराई गई जिसके बाद डॉ गोपाल कृष्ण पर लगे आरोपों को सही पाया गया।