बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी दुरुस्त है इसका एक सैंपल आपको मधेपुरा सदर अस्पताल में मिल जाएगा। वह तो शुक्र मानाइए कि सोशल मीडिया ने सारे सरकारी दावों की असल पोल खोल दी, वरना सरकारी दावे तो ऐसे—ऐसे कि देश दुनिया के बड़े—बड़े हेल्थ प्रोवाइडिंग संस्थान भी शर्मा जाएं। मधेपुरा के सदर अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग का एक ऐसा ही कारनामा सामने आया है। यहां सुरक्षा के लिए तैनात गार्ड ही मरीजों का ब्लड सैंपल कलेक्ट कर रहा है। इसकी तस्वीर जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो हंगामा मच गया। सुरक्षा गार्ड द्वारा मरीजों का सैंपल कलेक्ट करने वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब तेजी से वायरल हो रही है।
क्या कहना है सिविल सर्जन का
सरकारी अस्पताल की असल हकीकत बयां करती इस तस्वीर के सामने आते ही सिविल सर्जन डॉ. मिथिलेश ठाकुर ने सफाई देते हुए कहा कि यह तो अपने आप में गंभीर मामला है। पूरे मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस तस्वीर पर लोग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तरह—तरह के कमेंट भी कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। वहीं मधेपुरा के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अस्पताल में तैनात गार्ड टेक्नीशियन की भूमिका में कई बार काम करते देखा गया है। जबकि पैथालॉजिकल लैब के संचालन के लिए एक एमडी लेवल के डॉक्टर व पांच टेक्नीशियन इस अस्पताल में बहाल हैं। जिसका काम ब्लड लेना व मशीन पर जांच करना है।
अस्पताल में मनमानी के राज का नतीजा
लेकिन यहां सिस्टम की गड़बड़ी कहे या टेक्नीशियन की मनमानी, सारा सच तो सामने ही है। इधर लोगों का कहना है कि कई बार मना करने के बाद भी यहां गार्ड द्वारा सैंपल कलेक्ट किया जाता रहा है। मालूम हो कि सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग पर 21 गार्ड नियुक्त हैं जो अस्पताल परिसर में विभिन्न जगहों पर काम करते हैं। इसमें से इस गार्ड की ड्यूटी अक्सर इसी ब्लड कलेक्शन सेंटर में लगाई जाता है। इसका काम भीड़ काे नियंत्रित करना है, जबकि उक्त गार्ड सुरक्षा का काम करते-करते अब मरीज का ब्लड सैंपल कलेक्ट करने लगा है।
सिस्टम से इस तरह चल रहा मजाक
जानकारी के अनुसार इस सदर अस्पताल के पैथालॉजिकल लैब में प्रतिदिन औसतन सौ मरीज जांच के लिए आते हैं तथा प्रत्येक माह औसतन 2500 से 2800 मरीजों के सैंपल की जांच होती है। इसी तरह पूरे वर्ष के आंकड़ों को लें तो यहां औसतन एक साल में 36 हजार मरीजों के सैंपल की जांच की जाती है। अब मरीजों की इतनी संख्या की हो रही जांच में अगर उक्त गार्ड का 10 से 15 प्रतिशत भी योगदान है तो यह सिस्टम से साथ मजाक ही तो है।