बिहार में हो रहे चार सीटों के उपचुनाव और आगामी वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आज सोमवार को मुख्यमंत्री आवास पर नीतीश कुमार की अध्यक्षता में एनडीए की बड़ी बैठक हुई। करीब 4 घंटे चली इस बैठक में एनडीए नेताओं ने एक स्वर से कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश के नेतृत्व में राजग 2025 के विधानसभा चुनाव में 220 से अधिक सीटें जीतने के लक्ष्य पर काम करेगा। बैठक में यह भी फैसला हुआ कि पंचायत स्तर तक एनडीए के नेता और कार्यकर्ता सरकार के कामों को जन—जन तक पहुंचाने के लिए काम करेंगे।
2025 में नीतीश के नेतृत्व में 220 का टार्गेट
मुख्यमंत्री आवास में 11 बजे शुरू हुई बैठक दोपहर 2 बजे समाप्त हुई। इसमें एनडीए के सभी सांसद, विधायक, 20 सूत्री के अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष सहित एनडीए घटक दलों के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे। लेकिन एक खास बात यही रही कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ठीक दाहिने वाली कुर्सी पूरी बैठक के दौरान खाली ही रह गई। अब मीडिया वाले इसका अपने—अपने तरह से अर्थ निकाल रहे हैं। कोई इसे नीतीश कुमार का एक अलग ही ईशारा बता रहा, तो कोई एनडीए में ही किसी दल या नेता के नाराज होने की बात कर रहा है। खैर एनडीए की आज की बैठक में तीन ऐसे नेता रहे, जो नहीं पहुंचे थे। हालांकि अभी हो रहे उपचुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव के लिहाज से एनडीए की यह बैठक काफी अहम थी।
कौन और क्यों रहा इस अहम बैठक से गायब
दरअसल इस बैठक में रालोमो नेता उपेंद्र कुशवाहा तो दिखे लेकिन लोजपा नेता पशुपति पारस कहीं नजर नहीं आए। उनके बारे में पता चला कि एनडीए ने उन्हें इस बैठक के लिए बुलाया ही नहीं था। जबकि पारस ने पहले ही एनडीए के साथ होने की बात कही थी। खैर, जो दो और नेता इस बैठक में मौजूद नहीं थे, उनमें से एक हैं लोजपा रामविलास के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान। चिराग इस बैठक में नहीं थे, लेकिन उनकी पार्टी के सांसद और विधायक बैठक में शामिल हुए। इससे संभव है कि चिराग खुद किसी निजी वजह से बैठक में नहीं पहुंचे। लेकिन सबसे चौंकाने वाली नामौजूदगी रही हम के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की।
जीतन राम मांझी के नहीं आने से सभी रहे हैरान
जीतन राम मांझी का आज सीएम आवास की बैठक से गायब रहना समझ नहीं आ रहा। वह भी तब, जबकि उनकी बहू और इमामगंज प्रत्याशी दीपा मांझी मौजूदा उपचुनाव लड़ रही हैं। यह बैठक भी उसी उपचुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर बुलाई गई थी। जीनत मांझी को बिहार की राजनीति का एक माहिर खिलाड़ी माना जाता है। हालांकि बैठक में उनके मंत्री पुत्र संतोष सुमन शामिल हुए। लेकिन खुद मांझी का न होना सबको हैरान जरूर कर रहा था।
तो इनके लिए खाली रही सीएम के बगल की कुर्सी
अंदरखाने के सूत्रों से यह पता चला है कि चूंकि जीतन राम मांझी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वे बिहार के काफी वरिष्ठ नेताओं में आते हैं, इसीलिए उनके बैठने की जगह सीएम नीतीश की कुर्सी के बगल में तय की गई थी। अब जबकि जीतन राम मांझी बैठक में नहीं पहुंचे तो, वहां सीएम की कुर्सी के बगल में उनके लिए रखी कुर्सी खाली रह गई। इसी खाली कुर्सी को लेकर मीडिया वाले तरह—तरह की चर्चा करने लगे थे। इस बैठक में सीएम के बाएं बीजेपी के दोनों डिप्टी सीएम और उनके दाएं एक खाली कुर्सी के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जायसवाल और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह बैठे नजर आए।
बैठक में क्या-क्या हुए अहम फैसले
बैठक में कई ऐजंडों पर चर्चा हुई। इसमें सीएम नीतीश ने फिर दोहराया कि दो बार आरजेडी के साथ जा कर मैनें गलती की। लेकिन अब नहीं। मैं बीजेपी के साथ ही रहूंगा। दरअसल इस बयान के जरिए नीतीश कुमार एनडीए नेताओं को बड़ा संदेश देना चाहते थे जिससे सभी लोग एकजुट होकर चुनाव लड़ें। जिन अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें 18 साल के ऊपर के वोटर्स को बिहार और केंद्र सरकार की नीतियों के बारे में बताना शामिल है। एनडीए 2005 के पहले का बिहार और आज के बिहार का अंतर क्या है, यह जनता को बताना है। इसके लिए एनडीए के लोग पूरे प्रदेश में इसका प्रचार करेगें। नीतीश हैं, तो सुरक्षा है—इस मेसेज के जरिए मुस्लिम समुदाय को साधने की कोशिश की जाएगी। इसके अलावा पंचायत स्तर तक एनडीए की मीटिंग करने की बात कही गई। यह भी तय हुआ कि जिला स्तर पर एनडीए की एक समन्वय समिति गठित की जाएगी ताकि एनडीए के सभी दलों के बीच समन्वय बना रहे।