संसद यानी भारत की सबसे बड़ी पंचायत की एक अतिमहत्वपूर्ण समिति की बैठक में कुछ ऐसा हुआ जो घटिया फिल्म में विलेन को करते हुए दिखाया जाता है। हां, हम बात कर रहे है वक्फ बोर्ड को लेकर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति की बैठक की। वोट के लिए मुसलिम तुष्टिकरण का एक वीभत्स उदाहरण कहने में कोई संकोच नही होना चाहिए।
संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में हंगामा
वक्फ बोर्ड से संबंधित कानून में बदलाव के पूर्व विचार के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में 22 अक्टूबर 2024 को जमकर हंगामा। पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कांच की पानी की बोतल को मेज पर पटक तोड़ दिया और टूटे हुए कांच के बोतल से जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल हमला कर दिया। इस हमले में वे बाल-बाल बच गए। इस समिति ने इस कानून से जुड़े वैधानिक व सामाजिक मामलों के संबंध में विमर्श के लिए विशेषज्ञों से मंत्रणा का सिलसिला शुरू किया है।
गुस्से में पानी की बोतल टेबल पर पटकी और…
समिति की बैठक के दौरान रिटायर्ड जस्टिस गांगुली इस कानून की आवश्यकता पर अपना विचार व्यक्त कर रहे थे तभी टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी आपे से बाहर हो गए। गुस्से में पानी की बोतल इस कदर टेबल पर पटकी और इसके बाद टूटे हुए कांच के बोतल को जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल की ओर फेंक दिया। जगदंबिका पाल बाल-बाल बचे। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर के एक सदस्य का यह करतूत संसदीय इतिहास का काला अध्याय है। हलांकि इस ‘अशोभनीय’ व्यवहार के लिए समिति से उसे एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है। अब प्रश्न उठता है कि उस सांसद ने टपोरी जैसा घटिया व्यवहार क्यों किया?
मुसलिम तुष्टिकरण की घटिया राजनीति पराकाष्ठा
इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए पश्चिम बंगाल की वर्तमान राजनीति पर नजर डालना होगा। पश्चिम बंगाल में फिलहाल मुसलिम तुष्टिकरण की घटिया राजनीति पराकाष्ठा पर है। मुसलिम तुष्टिकरण की राजनीति में संप्रदाय विशेष के माफियाओं को कुछ भी कर डालने की खुली छूट दी गयी है। न्यायालय की बेबसी किसी से छिपी नहीं है। ममता बनर्जी के अनुयायियों में मुसलिम तुष्टिकरण की होड़ मची हुई है। इसी होड़ का नतीज ये शर्मानाक यह घटना है। यह अराजकतावादी राजनीति लोकतंत्र और संविधान के साथ ही नागरिक सुरक्षा के लिए भी खतरनाक है।
…टपोरी टाइप सांसद के पक्ष में खड़े दिखे
इस घटना के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह टपोरी टाइप सांसद के पक्ष में खड़े दिखे। विधायिका की प्रतिष्ठा को तार-तार कर देने वाले इस सांसद के बारे में बाहर यह खबर फैलायी गयी कि वह घायल हो गया है। समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और वकीलों के एक समूह के विचार सुन रही थी। उसमें प्रामाणिकता व तथ्य के साथ कुछ बातें ऐसी आ रही थी जो वक्फ कानून के कारण भारत की एकता-अखंडता और संविधान की मूल भावना पर आघात पड़ता। यह मुसलिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों के लिए अनुकूल नहीं था। ऐसे में तृणमुल कांग्रेस के सांसद ने ऐसा बवाल कर दिया। समिति के कुछ सदस्यों का मानना है कि अपने आका ममता बनर्जी के निर्देष पर कल्याण ने ऐसा किया।
मुसलमानों को मिला अलग देश पाकिस्तान
कम्युनल आधार पर 1947 में भारत का विभाजना हुआ और मुसलमानों को अलग देश पाकिस्तान दे दिया गया जहां इस्लामिक कानून का राज है। बेशर्म मुसलिम नेताओं ने विभाजन के बाद जब विशेष वेटेज की मांग धीरे से उठायी तब सरदार पटेल ने कड़े शब्दों में उनको समझाते हुए कहा था कि आप पाकिस्तान चले जाइये। 1950 के दिसम्बर में जब सरदार पटेल का देहांत हो गया तब नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस में तुष्टिकरण की राजनीति पनपने लगी। 1954 में भारत में वक्फ अधिनियम बना दिया गया। इसके बाद जब कांग्रेस कमजोर हुई तब वह उसकी राजनीति के केंद्र में मुसलिम तुष्टिकरण आ गयी। इसके बाद 1995 और 2013 में इस अधिनियम में जो परिवर्तन हुआ वह वास्तव में भारत के एक और विभाजन का आधार जैसा है। यह कानून भारत के संविधान पर प्रहार जैसा है।