बिहार के पूर्व मंत्री और तब के राजद सरकार के दबंग नेता बृजबिहारी प्रसाद की 1998 में हुए हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को अहम फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने बृजबिहारी हत्याकांड में बाहुबली नेता विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला और एक अन्य को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और पांच अन्य को बरी कर दिया है।
वर्ष 1998 में हुआ था बृजबिहारी प्रसाद का मर्डर
मालूम हो कि वर्ष 1998 में पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में हुए इस हत्याकांड में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और विधायक मुन्ना शुक्ला समेत आठ लोगों को पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था। बृजबिहारी प्रसाद की पत्नी और भाजपा नेता रमा देवी और सीबीआई ने पटना हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 1998 में पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों ने 21 और 22 अगस्त को इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी।
पटना हाईकोर्ट ने पलटा था निचले कोर्ट का फैसला
आज सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर महादेवन की बेंच ने अपना फैसला सुनाया। निचली अदालत ने 2009 में सभी आठों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बृज बिहारी प्रसाद लालू प्रसाद यादव की पार्टी के बड़े नेता थे। उनकी हत्या गैंगवार का नतीजा मानी जाती है। इस हत्याकांड में श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम भी सामने आया था। श्रीप्रकाश शुक्ला उस समय सूरजभान सिंह के गैंग में शूटर था।