बिहार में बाढ़ से बेकाबू हुए हालात में लोग घर-बार छोड़ सड़कों और उंची जगहों पर शरण लेने को मजबूर हैं। ऐसे में प्रशासन राहत बचाव कार्य में रात—दिन एक कर रहा। लेकिन बाढ़ पीडियों की संख्या और उनके कैंपों और शरण लेने वाले स्थानों के बीच दूरी इतनी है कि प्रशासन के इंतजाम कम पड़ रहे हैं। इसीबीच सुपौल में असंतुष्ट और भूख से बिलबिलाते बाढ़ पीड़ितों का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने आज सोमवार की सुबह रेल लाइन पर प्रदर्शन शुरू कर ट्रेनों की आवाजाही रोक दी। इस वजह से सहरसा-लहेरियासराय रेलखंड पर ट्रेनों का परिचान करीब दो घंटे तक बाधित रहा।
राहत और बचाव में कोताही का लगाया आरोप
जानकारी के अनुसार यहां सहरसा से फारबिसगंज जा रही डेमू ट्रेन को बाढ़ पीड़ितों ने सुपौल जिले के थरबिटिया-सरायगढ़ स्टेशनों के बीच रोक दिया और राहत की मांग करते हुए प्रदर्शन करने लगे। इस कारण लहेरियासराय से सहरसा आ रही डेमू ट्रेन को झंझारपुर में रोक दिया गया। यह ट्रेन करीब 1 घंटा प्रभावित हुई। सूचना मिलने पर सुरक्षा बलों की टीम मौके पर पहुंची और प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाया। ट्रैक क्लियर होने के बाद इस ट्रेन को चलाया गया। विलंब से आने के कारण अब यह ट्रेन वापसी में सहरसा से भी लेट ही खुलेगी।
जहां-तहां रुकी गाड़ियां, रूट की सारी ट्रेनें लेट
इसबीच इस रूट से गुजरने वाली अन्य ट्रेनों के भी प्रभावित होने की बात कही जा रही है। बाढ़ पीड़ितों ने सुपौल जिला प्रशासन पर सरकारी मदद नहीं देने का आरोप लगाया। रेलवे और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बाढ़ पीड़ितों को तुरंत मदद पहुंचाने का भरोसा देकर किसी तरह उन्हें शांत कराया और ट्रैक को चालू किया।