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नए अपराधिक कानूनों को जानना ज़रूरी

Swatva
Last updated: September 26, 2024 3:28 pm
By Swatva 386 Views
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6 Min Read
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patna : ऑनरेबल जस्टिस पी एन भगवती ने कहा था सिर्फ सरकार अकेले कुछ नही कर पाएगी न्याय को घर घर तक पहुंचाने में आम जनमानस की अहम भूमिका होती है। अर्थात इस चर्चा का उद्देश्य आम जनों तक नए कानूनों को लेकर जागरूकता फैलाना है , एवम ये कोशिश भी है कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोग भी इन कानूनों में हुए बदलावों को जान पाए। भारतीय अपराध न्याय प्रणाली में हमे कई सालो बाद नए बदलाव देखने को मिले है। इसको लेके सरकार ने 1 जुलाई 2024 को तीन नए कानून पारित किए है, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश कालीन कानूनों को रिप्लेस करना और भारत की वर्तमान जरूरतों को पूरा करना है।

Contents
तीन नए अपराधिक कानूनभारतीय न्याय संहिता में जोड़े गए नए अपराध
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तीन नए अपराधिक कानून

1)भारतीय न्याय संहिता,2023 जो IPC ,1860 को रिप्लेस करता है .
2)भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 जो Cr.p.c.,1973 को रिप्लेस करता है ।
3) एवम भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 जो इंडियन एविडेंस एक्ट ,1872 को रिप्लेस करता है।

हालाकि एक ही वीडियो में ये संभव नहीं होगा की तीनो कानूनों में हुए सारे बदलावो को कवर कर पाए इसलिए आगे भी इस मुद्दे को अलग अलग वीडियो सीरीज के माध्यम से लायेंगे और आज भारतीय न्याय संहिता पर ही केंद्रित रहेंगे। भारतीय न्याय संहिता यानी (BNS) में अलग–अलग अपराधो को परिभाषित कर उसकी सजा तय की गई है। 1 जुलाई 2024 के बाद यदि कोई अपराध होता है तो इस संहिता के अनुसार ही अपराध की धाराओं में एफ. आई. आर. होगी और सजा मिलेगी । इस संहिता में जहा एक तरफ कुछ अपराधिक धाराओं की संख्यायो को बदला गया है, वही दूसरी तरफ कुछ नए अपराधो को भी जोड़ा गया है। कुछ धाराओं को जेंडर न्यूट्रल यानी सब लिंगों के प्रति बराबर रूप से लागू किया गया है , वहीं सामुदायिक सेवा जैसे नए तरह की सजा को भी जोड़ा गया है।

भारतीय न्याय संहिता में जोड़े गए नए अपराध

इस संहिता में संगठित अपराध यानी(organised crime) ko धारा 111(1) के माध्यम से जोड़ा गया है ,जो हमे बताता है की यदि कोई व्यक्ति या समूह अपराधिक कार्य जैसे अपहरण, वैश्यावृत्ति,ड्रग्स और हाथियारो की तस्करी,जमीन हड़पना,कॉन्ट्रैक्ट किलिंग जैसे अपराध करता है या ऐसे अपराध करने वाले अपराधियों के सिंडिकेट का हिस्सा रहता है तो वह इस धारा के अनुसार दोषी होगा। और उपयुक्त अपराधों के कारण अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तब दोषी को मृत्युदण्ड ,उम्रकैद जैसी सजा और 10 लाख रुपया तक का जुर्माना भी हो सकता है ।

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आतंकवाद जैसे अपराधो को भी इस संहिता में धारा 113 के मध्यम से जोड़ा गया है। इस धारा के अनुसार यदि कोई व्यक्ति ऐसा कार्य इस धारा में दिए गए हिंसात्मक तरीको से करता है जिससे भारत की संप्रभुता, अखंडता, एकता और सुरक्षा भंग हो, या देशवासियों के मन में खौफ पैदा हो तो वह इस धारा के अनुसार दोषी होगा। पहली बार इस भारतीय अपराधिक कानून में मॉब लांचिंग यानी नसल,जाती और समुदाय के आधार पर हत्या करने को एक नए अपराधिक श्रेणि में रखा गया है जिसमे मृत्युदंड और उम्रकैद जैसे कठोर सजा का प्रावधान किया गया है।

बीएनएस में राजद्रोह के अपराध को समाप्त कर दिया गया है और इसके बजाय धारा 152 के माध्यम से पुनः रचना कर अपराधिक दायरों का और विस्तार किया गया है । जिसमे अलगाव, सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियों को उत्तेजित करना या उत्तेजित करने का प्रयास करना, (ii) अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करना, या (iii) भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालना भी शामिल हैं वही इन अपराधों में शब्दों या संकेतों का आदान-प्रदान, इलेक्ट्रॉनिक संचार या वित्तीय साधनों का उपयोग भी इस अपराधिक श्रेणी में शामिल किया गया है।

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वही कुछ नई जोड़ी गई अपराधिक धाराएं ऐसे भी है जो आलोचना का विषय भी भी बनी हुई है जैसे धारा 69 यह बताता है की यदि कोई पुरुष छल करके या शादी का झूठा वादा करके किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाता है तो उससे 10 साल तक की सजा होगी। यहां “छल” शब्द के अर्थ में नौकरी या पदोन्नति का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाना भी शामिल है। ये भी संभव है की इस धारा का दुरुपयोग भी बदले के भाव से किया जा सकता है और आरोपी के लिए ये साबित करना बहुत मुस्किल होगा की आपसी संबंध टूटने का कारण शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाना नही था बल्कि कुछ और ही था।

हालाकि कोई भी अपराधिक कानून में अस्पष्टता की कोई गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए क्योंकि ऐसा होने पर अपराधिक कानूनों का दुरुपयोग होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए संभव है की भविष्य में अगर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के सामने इन कानूनों से संबंधित अस्पष्टता आती है तो इन कानूनों की व्याख्या कर उसे दूर कर दिया जाएगा। अतः इन्ही सब्दो के साथ आज के इस चर्चा को विराम देता हूं एवम अगली बार नए टॉपिक को वीडियो सीरीज के अगले भाग में आपके समक्ष लेके आयेंगे।

अभ्युदय आनंद

TAGGED: तीन नए अपराधिक कानून, नए अपराधिक कानूनों
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