फतुआ के गोविंदपुर में एक हिंदू बहुल गांव पर वक्फ बोर्ड के हक दावे का बवाल अभी थमा भी नहीं था कि अब पटना से सटे बिहटा में कब्रिस्तान की भूमि को लेकर बवाल मच गया है। यहां कंचनपुर गांव में कब्रिस्तान की जमीन को लेकर तनाव पसर गया है। गांव के लोगों का आरोप है कि प्रशासन कब्रिस्तान की 15 डिसमिल जमीन की जगह 1 एकड़ 15 डिसमिल जमीन की घेराबंदी कर रहा है। तनाव देख गांव में पुलिस तैनात की गई है।
कंचनपुर गांव में तनाव के बाद पुलिस तैनात
कंचनपुर गांव में करीब 8—10 हजार हिंदू परिवार रहते हैं। यहां प्रशासन ने कब्रिस्तान के लिए 1 एकड़ 15 डिसमिल जमीन की घेराबंदी शुरू कराई। लेकिन कंचनपुर गांव के लोगों ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने प्रशासन पर जानबूझकर मुस्लिम समुदाय का पक्ष लेते हुए 15 डिसमिल की कब्रिस्तान की जमीन को एक एकड़ 15 डिसमिल बताकर उसकी घेराबंदी करवाने का आरोप लगाया। इसके बाद मामला गरमाता देख इसकी जांच के आदेश दिये गए हैं।
क्या कहना है कंचनपुर गांव के लोगों का
ग्रामीणों के अनुसार कब्रिस्तान के लिए जिस 1.15 एकड़ जमीन की घेराबंदी हो रही है वह आम जमीन है जिसका इस्तेमाल हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय करते थे। कब्रिस्तान की जमीन पारंपरिक रूप से महज 15 डिसमिल ही है। लेकिन इसे प्रशासन ने गुपचुप बाद में अपने कागजों में 1.15 एकड़ कर दिया जो गलत है। जमीन से जुड़े कागजात, खतियान भी ग्रामीणों के पास हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि यह हो कैसे गया?
ऐसे 15 डिसमिल बन गया 1.15 एकड़
स्थानीय लोगों के अनुसार समय समय के अंतराल में अंचलाधिकारी की मिलीभगत से 2016 से 2018 के बीच में चुपचाप कब्रिस्तान की जमीन 1 एकड़ 15 डिसमिल बना दिया गया। जबकि पुराने खतियान में भी 15 डिसमिल के ही कब्रिस्तान का जिक्र है जिसका कागज भी है। ग्रामीणों ने प्रशासन से कहा कि आप कब्रिस्तान घेराबंदी कराईये लेकिन उससे पहले इस बात की तथ्य आधारित जांच हो जानी चाहिए कि कब्रिस्तान की जमीन 15 डिसमिल है या 1 एकड़ 15 डिसमिल।
भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री की दखल
फिलहाल गांव वालों के विरोध के बाद वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। इधर भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने भी मामले में दखल दिया। उन्होंने गांववालों के आवेदन को देखते ही पटना डीएम को लिखित आदेश जारी कर दिया है। 16 सितंबर को जारी इस आदेश में लिखा गया है कि ‘मामला गंभीर है। कब्रिस्तान की जितनी जमीन है, उतने की ही घेराबंदी होनी चाहिए। प्रशासन दबाव में नहीं आए।’