देश में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर हंगामा मचा हुआ है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है। लेकिन कांग्रेस समेत तमाम विरोधी दल इसकी खिलाफत कर रहे हैं। लेकिन ऐसा करना क्यों बेहद जरूरी है, इसे आप बिहार के पटना जिले के इस गांव के लोगों की तकलीफ में साफ देख, सुन और समझ सकते हैं। पटना से 30 किमी दूर स्थित फतुहा के एक गांव गोविंदपुर को अपना बताते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसपर अपना दावा ठोक दिया है। ग्रामीणों से कहा गया है कि वे 30 दिन के भीतर गांव खाली कर दें।
गांव पर वक्फ बोर्ड ने ठोका दावा, खाली करने की नोटिश
वक्फ बोर्ड ने इस अल्टीमेटम के साथ ही गांव के लोगों को नोटिस भेजकर कहा है कि पूरे गांव की जमीन कब्रिस्तान की है। गांव वालों ने वक्फ बोर्ड के दावे को गलत बताते हुए कहा कि उनके पास जमीन के सभी कागजात हैं। मामला डीएम तक पहुंचा जिन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिये हैं। पूरा मामला केंद्र में मोदी सरकार द्वारा लाए गए वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर चल रही राजनीति के बीच सामने आया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने फतुहा के एक गांव की जमीन पर अपना दावा ठोंकते हुए यहां रह रहे लोगों को 30 दिनों के अंदर घर खाली करने का नोटिस थमा दिया है।
95 फीसदी हिंदू आबादी, ग्रामीणों ने दिखाए कागजात
वक्फ बोर्ड के दावे को पूरी तरह गलत बताते हुए ग्रामिणों ने कहा कि यहां लगभग 95 प्रतिशत हिंदू आबादी रहती है। वे कई पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। उनके पास जमीन के सभी कागजात भी हैं। ऐसे में यह जमीन अचानक कब्रिस्तान की कैसे निकल आई। मीडिया को कई ग्रामीणों ने अपने—अपने कागजात दिखाते हुए वक्फ बोर्ड को चुनौती दी कि वह भी जमीन के कागजात दिखाये। दरअसल गांव में एक मजार है। इसी को लेकर वक्फ बोर्ड अपना दावा कर रहा है। लेकिन खास बात यह कि वक्फ बोर्ड के पास अपने दावे के समर्थन में कोई कागजात नहीं है।
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल मामले का सही ईलाज
ऐसे में वक्फ बोर्ड पर जमीन हड़पने के आरोप लगने शुरू हो गए हैं। जहां भाजपा और उसके समर्थक वक्फ बोर्ड की इसी कारगुजारी पर अंकुश की बात कर रहे हैं, वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि किसी भी कीमत पर वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पास नहीं होने देंगे। लेकिन जो जमीनी हकीकत है वह सबके सामने है। यहां तक कि डीएम की जांच में भी वक्फ बोर्ड का गांव की जमीन पर दावा गलत पाये जाने की बात कही जा रही है। ऐसे में देखना है कि नीतीश सरकार इसपर क्या डिसीजन लेती है।