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बिहारी समाज

मगही रत्न से नवाजे गये रामरतन प्रसाद सिंह “रत्नाकर”

Swatva
Last updated: August 19, 2024 9:33 pm
By Swatva 756 Views
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9 Min Read
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नवादा : जिले के वरिष्ठतम पत्रकार, साहित्यकार सह हिन्दी- मगही के लेखक रामरतन प्रसाद सिंह ” रत्नाकर ” को मगही रत्न से नवाजा गया है। बिहार मगही जगत के ये पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें इस पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है।

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प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण,भारतीय वास्तुकार, लेखक, कवि और प्रेरक वक्ता के कलम से

‘मगही रत्न’ राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’: मगही साहित्य के साधक

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परिचय:-

बिहार के नवादा जिले से संबंध रखने वाले श्री राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’ का नाम मगही साहित्य और पत्रकारिता में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। एक साधक, साहित्यकार, और पत्रकार के रूप में उनकी पहचान एक अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रोफेसर डॉ नागेंद्र नारायण भारतीय वास्तुकार, लेखक, कवि और प्रेरक वक्ता ,अन्तरराष्ट्रीय महासचिव , विश्व मगही परिषद्. नई दिल्ली ने बताया कि उनके योगदान को देखते हुए उन्हें ‘मगही रत्न’ सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है, जो न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान का सम्मान है बल्कि मगही भाषा और साहित्य के प्रति उनकी अपार निष्ठा और समर्पण का भी प्रतीक है।

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जीवन परिचय:-

राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’ का जन्म 3 अक्टूबर 1946 (स्कूल के अनुसार) और 3 अक्टूबर 1942 (माता-पिता के अनुसार) को दशहरे की अष्टमी तिथि के दिन हुआ था। उनके पिता, श्री नूनू सिंह, स्वतंत्रता सेनानी और किसान सेवक थे, जबकि माता लक्ष्मी देवी ने उन्हें जीवन के मूल्यों और संस्कारों से परिचित कराया। उनका स्थायी निवास स्थान मकनपुर, जिला नवादा, बिहार में स्थित है।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:-

श्री रत्नाकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नवादा में ही प्राप्त की और स्नातक की उपाधि प्राप्त की। साहित्य में उनकी गहरी रुचि उन्हें एक विशिष्ट स्तर पर ले गई, जहाँ उन्होंने मगही भाषा और साहित्य में अपनी गहरी पकड़ बनाई।

‘साहित्य मार्तण्ड’ के रूप में उन्हें जो ख्याति मिली, वह उनके व्यापक अध्ययन और साहित्यिक योगदान का प्रतिफल है।

साहित्यिक यात्रा:-

राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’ की साहित्यिक यात्रा में मगही भाषा और साहित्य को समृद्ध करने का अनूठा प्रयास स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन किया, जिनमें से प्रमुख हैं:-

संस्कृति संगम

आस्था का दर्शन

बलिदान

शहीद

लोकगाथाओं का सांस्कृतिक मूल्यांकन

ब्रह्मर्षिकुल भूषण

बजरंगी रु-ब-रु

सृष्टि -दृस्टि 2024

इन पुस्तकों में उन्होंने भारतीय संस्कृति, आस्था, बलिदान, और लोकगाथाओं का गहन विश्लेषण किया है। उनके लेखन में भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं का सूक्ष्मता से अध्ययन किया गया है, जो उन्हें एक उच्च कोटि का साहित्यकार बनाता है।

मगही भाषा में योगदान:-

मगही भाषा में भी श्री रत्नाकर का योगदान अद्वितीय है। उन्होंने मगही में कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी, जिनमें शामिल हैं:-

गाँव के लक्ष्मी

राजगीर दर्शन

पगडंडी के नायक

मरघट के फूल

मगध के संस्कृति

फगुनी के याद

कोलसार

विविधा

अन्नदाता

मगही में मगध , 2024

इन पुस्तकों के माध्यम से उन्होंने मगही भाषा और संस्कृति को न केवल संरक्षित किया बल्कि उसे नई ऊँचाइयों पर भी पहुँचाया। उनके लेखन में मगध की संस्कृति और सामाजिक संरचना का चित्रण अत्यंत मार्मिक और प्रभावशाली है।

पत्रकारिता में योगदान

श्री राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’ ने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह नवादा जिला श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के जिला अध्यक्ष (1996-2000) रहे और बाद में बिहार प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन पटना के संगठन सचिव (2002) के रूप में कार्य किया। उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाना और सत्य की खोज करना था।

उनकी पत्रकारिता में सत्यता, निष्पक्षता, और जनहित के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें समाज में एक विशिष्ट स्थान दिलाया। उन्होंने कई दैनिक, साप्ताहिक, और मासिक पत्र-पत्रिकाओं में लेखन और समीक्षा का कार्य किया, जिससे समाज को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रकाशित पुस्तकें

श्री रत्नाकर की प्रकाशित पुस्तकों की सूची उनकी साहित्यिक प्रतिभा का प्रमाण है। उन्होंने न केवल हिन्दी में बल्कि मगही भाषा में भी कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। उनके लेखन में साहित्यिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक मुद्दों का गहन विश्लेषण मिलता है। उनकी प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें निम्नलिखित हैं:-

हिन्दी में:- संस्कृति संगम, आस्था का दर्शन, बलिदान, शहीद, लोकगाथाओं का सांस्कृतिक मूल्यांकन, ब्रह्मर्षिकुल भूषण, बजरंगी रु-ब-रु, सरोकार।

मगही में: -गाँव के लक्ष्मी, राजगीर दर्शन, पगडंडी के नायक, मरघट के फूल, मगध के संस्कृति, फगुनी के याद, कोलसार, विविधा, अन्नदाता। इन पुस्तकों के माध्यम से उन्होंने न केवल साहित्य को समृद्ध किया बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी प्रयास किया।

अन्य गतिविधियाँ

श्री रत्नाकर ने ‘त्रैमासिक मगही संवाद’ के संपादक के रूप में भी कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने आकाशवाणी और दूरदर्शन पर वार्ताकार के रूप में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने साहित्यिक-सांस्कृतिक और वैचारिक आयोजनों में मुख्य अतिथि और अध्यक्षता के रूप में भी भाग लिया।

उन्होंने 160 से अधिक साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों में मुख्य अतिथि और अध्यक्षता की, जो उनके समाज में गहरे जुड़ाव और साहित्यिक योगदान का प्रमाण है। उन्होंने एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में भी बिहार सरकार से मान्यता प्राप्त की, जो उनके पत्रकारिता के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

पुरस्कार और सम्मान

श्री राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’ को उनके साहित्यिक और पत्रकारिता में योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार और सम्मान निम्नलिखित हैं:+

संयुक्त राष्ट्र संघ के शैक्षिक एवं शासी परिषद् द्वारा राष्ट्रीय हिन्दी सहस्राब्दी सम्मान (2000 में)

मगही मगध नागरिक संघ, कलकत्ता सम्मान

मगही पत्रिका पारिवारिक सम्मान

धरोहर बचाव, पावापुरी सम्मान

नवादा जिला पत्रकार संगठन सम्मान

बिहार सरकार कला एवं संस्कृति सम्मान

बिहार मगही अकादमी और मगही अकादमी गया द्वारा सम्मानित

पटना सिटी मगही परिषद् द्वारा मगध शिरोमणि सम्मान

श्रीनाथ द्वारा, राजस्थान साहित्य मंडल द्वारा ‘हिन्दी साहित्य मनीषी सम्मान

जिला प्रशासन द्वारा 22 मार्च, 2018 को सम्मानित इन पुरस्कारों और सम्मानों ने श्री रत्नाकर की साहित्यिक और पत्रकारिता में योगदान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई।

निष्कर्ष

श्री राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’ का जीवन और उनका कार्य समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। उनके साहित्यिक और पत्रकारिता में योगदान ने न केवल मगही भाषा और साहित्य को समृद्ध किया बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी जीवन यात्रा और उनके द्वारा किए गए कार्य आज के समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं।

उनका जीवन, उनकी साहित्यिक यात्रा, और उनके द्वारा किए गए योगदान हमें यह सिखाते हैं कि किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए समर्पण, निष्ठा, और कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। ‘मगही रत्न’ सम्मान से सम्मानित होकर श्री रत्नाकर ने न केवल अपने जिले नवादा का नाम रोशन किया बल्कि मगही भाषा और साहित्य को भी नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है।उनके जीवन और कार्यों का अध्ययन और अनुसरण समाज के हर वर्ग के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

श्री राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’ के रूप में हमें एक ऐसे व्यक्तित्व का आदर और सम्मान करने का अवसर मिलता है, जिन्होंने अपने जीवन को समाज, साहित्य, और पत्रकारिता के लिए समर्पित कर दिया।उन्हें मगही रत्न पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर जिले के पत्रकारों रवीन्द्र नाथ भैया, अशोक प्रियदर्शी, वरुणेनेन्द्र कुमार, मनोज कुमार, अजय कुमार, राजेश मंझवेकर, पवन कुमार समेत राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य अफरोजा खातुन आदि ने बधाई दी है।

भईया जी की रिपोर्ट 

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