पटना,16अगस्त। आंदोलन के गर्भ से उत्पन्न नेता ज्यादा नैतिकवान होते हैं. संघर्ष की तपिश में तप कर उनका चरित्र निखर जाता है. अनुच्छेद अपवादों को छोड़ दें तो सामान्य प्रक्रिया से आए हुए नेता की अपेक्षा आंदोलन से उत्पन्न नेता ज्यादा समर्पित भी होते हैं. उक्त विचार बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने पटना में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किया.
पटना के बिहार विधान परिषद सभागार में दिवंगत शिक्षक नेता एवं जेपी सेनानी स्वर्गीय श्रीनाथ मिश्र की द्वितीय पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नंदकिशोर यादव ने उनके साथ अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में संस्मरण साझा कर उन्हें अपना अभिभावक बताया. पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने श्रीनाथ मिश्र जी को एक कर्मठ योद्धा बताया. उन्होंने कहा कि 75 के आंदोलन में कुछेक लोग पैसे का गबन किया करते थे. उनकी आदत आज तक बनी हुई है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ संजय पासवान ने कार्यक्रम के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम इसलिए आवश्यक हैं कि समाज में यह संदेश जाना चाहिए कि जिन लोगों को व्यक्तिगत जीवन में कुछ विशेष हासिल नहीं हुआ, उनकी मृत्यु के बाद भी समाज उन्हें स्मरण करता है. उन्होंने ऐसे अवसर पर स्मारिका या पुस्तक प्रकाशित करने के बारे में भी सुझाव दिया. कार्यक्रम को बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, सिक्किम एवं मेघालय के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद, सांसद देवेश चंद्र ठाकुर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व महामंत्री एवं पूर्व विधान परिषद हरेंद्र प्रताप पांडे तथा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम का संयोजन सामाजिक कार्यकर्ता अभिजीत कश्यप ने किया था. मंच संचालक गौरव अग्रवाल ने किया.