नवादा : जिला प्रशासन को आरटीआई से इतना भय क्यों? क्यों वापस किये जा रहे आवेदन? यह यक्ष प्रश्न पूछे जाने लगे हैं। प्रशासन द्वारा वापस किये जा रहे आवेदन के पुख्ता प्रमाण इसकी गवाही दे रहा कि प्रशासन आम लोगों के लिए उपलब्ध करायी गयी सूचना के अधिकार से परेशान है। ऐसा सिर्फ प्रशासनिक पदाधिकारियों तक सीमित नहीं है बल्कि पुलिस प्रशासन भी ऐसा ही कर रही है।
पत्रकार उत्पीड़न से संबंधित मांगी गयी सूचना तो उपलब्ध करायी नहीं, अब मानवाधिकार आयोग द्वारा मांगे गये आरोपों का जबाब तक उपलब्ध नहीं करायी जा रही है। आखिर ऐसा क्यों? आपने जब नियमानुकूल कार्य किया तो फिर जबाब देने में भय किस बात का? जाहिर है जिले में भ्रष्टाचार चरम पर है। आवेदन के आलोक में आरोपों की जांच तक नहीं करायी जा रही , फिर कार्रवाई तो दूर की बात है।
आम लोगों को किसी भी जानकारी के लिए सूचना का अधिकार कानून लागू किया गया। समय निर्धारित की गयी।अधिकार का प्रयोग जब आरंभ हुआ तब कई की गर्दन फंसने लगी। कई निलम्बित हुए तो कई को नौकरी तक से हाथ धोना पड़ा तो अधिकारियों के हाथ पैर फूलने लगे। फिर नया तरीका ढूंढ निकाला और आवेदन को वापस करना आरंभ कर दिया गया। ऐसे में सूचना का अधिकार जिले में मखौल बनना शुरू हो गया है। फिर अदालत में चुनौती देने की तैयारी आरंभ कर दी गयी है।
भईया जी की रिपोर्ट