कोटा,राजस्थान में जय मिनेश आदिवासी विश्वविद्यालय एवं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, जयपुर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय संयुक्त वार्षिक सम्मेलन में 54वें भारतीय पुरातत्व सोसाइटी सम्मेलन, 49वें आई एस पी क्यू एस सम्मेलन एवं 45वें एच सी एस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे सम्मिलित होकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने शाहाबाद, बक्सर सहित बिहार और देश के पुरातत्व इतिहास एवं पर्यावरण संरक्षण में आदिवासियों के महत्व को जन जन तक ले जाने की आवश्यकता पर बल दिया और इसका लाभ जनमानस तक पहुंचे इसके लिए कार्य करने की बात कही। साथ ही उन्होंने आदिवासियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले पर्यावरण संवर्धन के उपाय, प्रमुख खेल जैसे तीरंदाजी, धनुर्विद्या को बढ़ावा देने की भी बात कही।
अश्विनी चौबे आदिवासी विश्विद्यालय में आदिवासियों के योगदान पर बात करते हुए कहा की भारत के मूल आदिवासी 8 प्रतिशत हैं जिनके कार्य एवं उनके द्वारा प्रकृति का 80प्रतिशत संरक्षण प्रमुख रूप से अनुकरणीय है एवं इसपर राष्ट्रव्यापी कार्य करने की आवश्यकता है। मूल आदिवासियों के इतिहास, उनके कार्य एवं प्रकृति प्रेम से सिख लेकर सभी को व्यापक स्तर पर प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन करने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ी को दिक्कत न हो।
उन्होंने कहा की प्रकृति की गोद में रहकर आदिवासी समाज ने कभी भी प्राकृति का उपभोग या दोहन नहीं किया बल्कि हमेशा प्रकृति का उपयोग और संवर्धन करके जीवन जिया है। सम्मेलन में उपस्थित पुरात्वविदों एवं इतिहासकारों से चौबे ने आग्रह किया की अपने शोध से जन सामान्य को आदिवासी जीवन शैली एवं इसके लाभ से अवगत कराएं ताकि उनसे सीख लेकर लोग अपना जीवन जीने की शैली को और ठीक करें और अत्याधुनिक विश्व के निर्माण में पर्यावरण एवं वनों की सुरक्षा बनी रहे।
अश्विनी चौबे ने शोधकर्ताओं एवं इतिहासकारों द्वारा लिखित कई पुस्तकों का विमोचन भी किया जो आदीवासी जीवन के पुरातात्विक आधार एवं प्रकृति के बचाव पर आधारित था। मुख्य रूप से उन्होंने के एन दीक्षित व एस पी गुप्ता द्वारा लिखित “ ऐन एटलस आफ द इंडस सरस्वती सिविलाइजेशन”, भारतीय पुरातत्व परिषद नई दिल्ली की पुस्तक पुराप्रवाह, इतिहास एवं संस्कृति सोसाइटी, नई दिल्ली का इतिहास एवं पुरातात्विक इतिहास पर आधारित पुस्तक “हिस्ट्री टुडे”, “इंडियन ओसियन आर्कियोलॉजी”, इंडियन सोसाइटी फॉर प्रिहिस्टोरिक एंड क्वांटरनरी स्टडीज की पुस्तक “ मैन एंड एनवायरनमेंट” एवं अनुष्का ओझा द्वारा रचित “ रोहतास जनपद का पुरातत्व एवं अधिवास प्रणाली” शामिल है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से जेएमएयू के अध्यक्ष, मुख्य आयोजक एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के पूर्व कुलपति डी पी तिवारी, चेयरपर्सन आर डी मीना, आई ए इस के महासचिव के एन दीक्षित, आई एस पी क्यू एस के महासचिव प्रो. पी पी जोगलेकर, एच सी एस की कोषाध्यक्ष डा. आशा जोशी, जेएमएयू के संयोजक डा. विजय कुमार के अलावा सैकड़ों शोधकर्ता एवं प्रतिभागी उपस्थित थे।