Patna : विधानसभा चुनाव भारत के राज्यों में कराए जाने वाले राज्य-स्तरीय चुनाव हैं। इन चुनावों में हर राज्य की जनता अपने राज्य-स्तर के शासन के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है जिन्हें विधायक कहा जाता है। आम चुनावों से अलग इन चुनावों में चुने हुए विधायक राज्य-स्तर पर सरकार का गठन करते हैं। इन चुनावों में भाग लेने वाले राजनैतिक दल वह भी हो सकते हैं जो आम चुनावों में भाग लेते हैं और इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों के अपनी-अपनी क्षेत्रीय दल भी हैं जो राज्य-विशेष में लोकप्रिय होते हैं जैसे तमिल नाडु में अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस। यह चुनाव प्रति पाँच वर्ष में एक बार कराए जाते हैं। यदि अपना कार्यकाल पूरा करने से पूर्व कोई सरकार विधानसभा में बहुमत खो देती है तो यह चुनाव पाँच वर्ष से पहले भी कराए जा सकते हैं।इन चुनावों में मतदान करने के लिए जो मापदण्ड हैं वह वहीं हैं जो लोकसभा चुनावों में मतदान करने के लिए हैं जैसे मतदाता का भारतीय नागरिक होना और उसकी आयु 18 वर्ष या ऊपर होना।
विधानसभा चुनाव को लेकर कुछ अहम बातों की जानकारी होनी भी आवश्यक है..
1.विधानसभा चुनाव लड़ने हेतु योग्यता
– चुनाव लड़ने हेतु उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना ज़रूरी है।
– उम्मीदवार का नाम राज्य के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल होना चाहिए।
– विधायक बनने हेतु उम्मीदवार की आयु 25 वर्ष होना ज़रूरी है। पिछले कई सालों में आयु को कम करने की बातें भी काफी सामने आई हैं लेकिन इस कोई फैसला नहीं आया है।
– विधानसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी का मानसिक रूप से स्वस्थ होना ज़रूरी है।
– प्रत्याशी के खिलाफ किसी भी प्रकार का कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं होना चाहिए।
– उम्मीदवार को राज्य या केंद्र सरकार के किसी लाभदायक पद पर नहीं होना चाहिए।
2.विधायक बनने की चुनाव प्रक्रिया क्या है?
जानकारी के अनुसार, विधानसभा का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता है। विधायक यानि विधानसभा के सदस्य को उस विधान सभा क्षेत्र के मतदाता वोटिंग के ज़रिये से चुनते हैं।
– सभी राज्यों की जनसंख्या के आधार पर अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
– एक निर्वाचन क्षेत्र से कई उम्मीदवार चुनाव के लिए खड़े हो सकते हैं। इसके लिए उनका आवश्यक योग्यताओं को पूरा करना ज़रूरी है।
– उम्मीदवार किसी विशिष्ट पार्टी से इस पद के लिए चुनाव लड़ सकता है। इसके साथ ही वह स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में भी चुनाव लड़ सकते हैं ।
– विधायक पूर्ण रूप से मतदाताओं द्वारा चुने जाते हैं। जो मतदाता सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के अनुसार मतदान देते हैं।
– राज्य के राज्यपाल के पास एंग्लो-भारतीय समुदाय के सदस्य को नामांकित करने की कार्यकारी शक्ति होती है, यदि विधानसभा में उस व्यक्ति के पर्याप्त प्रतिनिधित्व की कमी हो।
3.विधायक निर्वाचन प्रणाली क्या है?
– विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी को किसी राजनीतिक दल में शामिल होना जरूरी नहीं है। वह एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी चुनाव लड़ सकते हैं।
– लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (Public Representation Act) 1951 की धारा 34(1) (ख) के मुताबिक, विधानसभा चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी अगर सामान्य वर्ग से है, तो उन्हें 10 हजार रुपए की प्रतिभूति राशि (Security Deposit) जमा करानी होगी। अगर उम्मीदवार अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग से है, तो उन्हें प्रतिभूति राशि 5 हजार रुपए जमा करनी होगी।
– लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33(7) के अनुसार, एक व्यक्ति दो से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ सकता।
– लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 77 के अधीन, राज्य विधानसभाओं के चुनाव में प्रत्येक प्रत्याशी को चुनाव में खर्च से संबंधित विवरण निर्वाचन आयोग को 30 दिनों के अंदर अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराना होता है।
4.विधानसभा का कार्यकाल
भारतीय संविधान के अनुसार विधानसभा की कार्यकाल अवधि पांच वर्ष निर्धारित की गयी है। प्रत्येक 5 वर्ष के दौरान निर्वाचन आयोग द्वारा दोबारा चुनाव कराये जाते हैं। किसी भी प्रकार की असाधारण स्थिति में उस राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति को विधानसभा भंग करनें की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, भारतीय संविधान के अनुसार, संसद द्वारा आपातकाल की स्थिति में विधानसभा के कार्यकाल को एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है लेकिन जैसे ही आपातकाल की स्थिति समाप्त होती है, 6 महीने के अंदर उसका विलय अनिवार्य रूप से हो जाना चाहिए।
5.चुनावी शक्तियां:
– विधायक राज्यसभा के सदस्यों का चयन करते हैं, जो एक विशेष राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
– विधानसभा के अध्यक्ष और उप सभापति विधायकों द्वारा चुने जाते हैं।
– द्विपक्षीय विधायिका वाले राज्यों में, विधान परिषद के सदस्यों में से एक तिहाई विधायकों द्वारा ही चुने जाते हैं।
संविधान और विविध शक्तियां:
– भारत के संविधान के कुछ हिस्सों जो संघीय प्रावधानों से संबंधित हैं, उन्हें विधानसभा के आधे सदस्यों द्वारा संशोधित किया जा सकता है।
– विधायकों द्वारा सदन में विभिन्न समितियों की नियुक्ति की जाती है।
शिवम प्रेरणा की रिपोर्ट