बिहार में पुल गिरने के इस तरह के हादसे कई सालों से लगातार हो रहे हैं। सरकारें बदलतीं रहीं, मगर पुल गिरने की घटनाएं लगातार सामने आती रही। चाहे जदयू-राजद की सरकार हो या जदयू-भाजपा की सरकार। ऐसा कतई नहीं है कि बिहार में पुल धराशायी या टूटने की घटना इसी एनडीए सरकार में ही हो रही है। प्रदेश में सरकार महागठबंधन की रही हो या एनडीए की, पुल गिरते रहे हैं और विपक्ष सरकार पर सवाल उठाता रहा है।
धड़ाधड़ पुलों के गिरने का ये है मूल कारण
इसका जो कारण बिहार की सियासत और इसके रणनीतिकारों पर करीबी दृष्टि रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राकेश प्रवीर ने बताया, उसके अनुसार आज के डेट में भी राज्य में पुल-पुलियों के रखरखाव को लेकर कोई नीति ही नहीं है। इस कारण पुराने पुलों की मॉनिटरिंग नहीं हो पाती है और बन रहे पुल-पुलियों में निर्माण सामग्री में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जाता है। ऐसे में पुल धड़ाधड़ गिर रहे हैं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हालांकि अब बिहार सरकार नींद से जागी है और राज्य के सभी पुल—पुलियों की आडिट कराने का निर्णय लिया गया है।
अब बिहार सरकार हुई होशियार, लिया निर्णय
पुल-पुलियों के गिरने की घटना के बाद सचेत हुई सरकार अब पुल की कमजोरी को जानने और नए पुल मजबूत बने, इसके लिए सभी ग्रामीण पुलों की स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने जा रही है। मकसद यह है कि सरकारी राशि का सदुपयोग हो और जानमाल की सुरक्षा भी की जा सके।। ग्रामीण कार्य विभाग ने अब पुल-पुलियों की ऑडिट करवाने का निर्णय लिया है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर विभागीय अभियंताओं और अधिकारियों की तैनाती होगी। विभागीय ऐप के माध्यम से हर दिन ऑडिट से जुटाई गई जानकारी मुख्यालय भेजी जाएगी। इस आधार पर मुख्यालय स्तर से मॉनिटरिंग होगी।
तेजस्वी जब पॉवर में थे तब सुल्तानगंज में…
4 जून 2023 को सुल्तानगंज से खगड़िया के अगुवानी गंगा घाट पर निर्माणाधीन पुल का पिलर नंबर 10, 11 और 12 अचानक भरभराकर गिर गया और नदी में बह गया। उस समय राजद—जदयू की सरकार थी और पुल गिरने की घटना ने बिहार में सियासी बवाल खड़ा कर दिया था। पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने एक-दूसरे पर खूब सवाल खड़े किए थे।
अंग्रेजों के जमाने का पुल सारण ऐसे गिरा
19 मार्च 2023 को बिहार के सारण जिले में एक पुल गिर गया था। बताया जाता है कि यह पुल अंग्रेजों के जमाने का था। बाढ़ के बाद पुल जर्जर हो गया था और कई जगहों पर उसमें दरारें आ गईं थीं। विभाग की लापरवाही के कारण यह पुल गिर गया। जर्जर पुल को लेकर विभाग की ओर से आम लोगों को कोई चेतावनी भी जारी नहीं की गई थी।
दरभंगा और बिहटा में इन पुलों का हादसा
19 फरवरी 2023 को पटना के बिहटा में सरमेरा में फोन लेन पुल गिर गया था। वहीं बिहार के दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान में कमला बलान नदी के सबोहल घाट पर ओवरलोड ट्रक की चपेट में आने से पुल गिर गया था।
पूर्णिया-कटिहार में 10 मजदूर चपेट में
15 मई 2023 को पूर्णिया में एक बड़ा हादसा हुआ था। यहां एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा ढलाई के दौरान गिर गया था। इसके अलावा जुलाई 2022 में बिहार के कटिहार जिले में भी एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था और पुल गिरने से 10 मजदूर घायल हो गए थे।
नालंदा में निर्माणाधीण पुल ने ली एक की जान
18 नवंबर 2022 को बिहार के नालंदा जिले में एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था। पुल गिरने से इसकी चपेट में आकर एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। बाताया जाता है कि यह पुल घटिया निर्माण के कारण गिर गया था। तब इसे लेकर काफी बवेला भी मचा था।
सहरसा में 2022 में गिरा पुल, दबे मजदूर
9 जून 2022 को बिहार के सहरसा में एक पुल गिरने से कई मजदूर घायल हो गए थे। सिमरी बख्तियारपुर के कंडुमेर गांव में पुल पर चल रहे काम के दौरान यह हादसा हुआ था। मजदूर पुल पर काम कर रहे थे तभी इसका एक हिस्सा गिर गया और मजदूर मलबे में दब गए।
फतुहा, भागलपुर-खगड़िया में भी गिरा था पुल
पटना के फतुहा में 20 मई 2022 को अधिक बारिश के कारण एक पुल गिर गया था। यह पुल 1984 में बना था। वहीं, 30 अप्रैल 2022 को भागलपुर-खगड़िया में एक सड़क पुल गिर गया था। इस तरह साफ है कि बिहार में पुलिस गिरने की घटनाएं पहले से चली आ रही हैं। चाहे एनडीए या महागठबंधन की सरकार हो, सभी केवल इसपर राजनीतिक रोटी सेंकने में लगे रहे। पुलों के गिरने की मूल वजह पर किसी का ध्यान नहीं गया।